Web Series : क्या है ? समाज में इसके दुष्प्रभाव

वेब सीरीज का मतलब है इंटरनेट पर उपलब्ध वीडियों की श्रंखला है इसकी सर्वप्रथम शुरूआत 1990 के दशक में हुई थी मगर 2000 आते-आते वेब सीरीज का चलन एकदम से बढ़ने लगा ।
साथियों आज जिस टॉपिक पर हम बात करने जा रहे है वह है वेब सीरीज। आज हर कोई व्यक्ति ज्यादातर युवा वर्ग वेब सीरीज की ओर कुछ ज्यादा ही आकर्षित हो रहा है। मगर इसमें सीखने को क्या मिल रहा है यह कोई नहीं बताता। वेब सीरीज अलग-अलग टॉपिक पर अलग-अलग समय पर रिलीज कि जाती है। वैसे आज का जमाना टेक्नोलॉजी का जमाना है जहाँ हर किसी के पास अपना स्मार्टफोन है हर किसी के पास अपना नेट डाटा है और यही से इसके प्रचलन की शुरूआत होती है आज बड़े परदे की फिल्मों से ज्यादा दर्शक व रेवेन्यू वेब सीरीज से बनाया जा रहा है तो चलिये इस पर विस्तृत रूप से चर्चा करते है।
प्रमुख प्लेटफार्म :
जिस प्रकार फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाता है उसी प्रकार वेब सीरीज को किसी खास ओटीटी वीडियों स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर रिलीज किया जाता है। इंडिया के अगर टॉप लेवल रिलीज प्लेटफार्म की बात करे तो उसमे प्रमुख नाम आते है।
NetFlix ( नेटफ्लिक्स)
Amazone Prime Video (अमेजाॅन प्राइम वीडियो )
Hotstar (हाॅटस्टार)
Voot (वूट)
Mx Player (एमएक्स प्लेयर)
जैसे बड़े प्लेटफार्म है वही इनकी रेवेन्यू का बड़ा सोर्स विज्ञापन-दाता होते है।

फिल्म बनाम वेब-सीरीज:
अगर बात फिल्म बनाम वेब-सीरीज कि करे तो इनमें बड़ा अन्तर है जहाँ एक फिल्म 2 से 3 तीन घंटे की होती है वहीं वेब सीरीज पर समय की कोई पाबंदी नहीं रहती आमतौर पर वेब सीरीज 10 से अधिक घंटे की रहती है।
बजट के हिसाब से देखा जाए तो अक्सर फिल्म को बनाने में वेब सीरीज से अधिक बजट लगता है।
दर्शक:
अगर इन दोनो प्लेटफार्म पर दर्शको की बात करे तो ज्यादा दर्शक रिलीज पर निर्भर करते है अगर फिल्म वर्ल्ड वाइड रिलीज होती है तो स्वाभाविक है फिल्म देखने वालों की संख्या अधिक होगी । कई बार ऐसा भी देखा जाता है दर्शक वेब सीरीज के लंबे खीचे जाने के कारण उसे बीच मे ही छोड़ देते है जबकि फिल्म की समय सीमा संक्षिप्त होने के कारण उसके दर्शकों की संख्या बड़ी होती है।
वेब सीरीज समाज के लिए खतरनाक:
वेब सीरीज के एक सेशन में कम से कम 8 से 9 भाग होते और इसके अलग-अलग सेशन होते है। भारत में आम तौर पर देखा जाता है कि वेब सीरीज के नाम पर निर्माता अश्लील, क्राइम व काल्पनिक स्टोरी आपको परोसी जाती है जिसका आधार सच्चाई से कोसो दूर होता है मगर इन वेब सीरीजों से देश का युवा क्या सीख रहा है यह तो कोई नहीं जानता है इसके अलावा इन सीरीजों में रोचक कहानियाँ व गालियाँ दिखाई जाती है जिसको इंडिया में बड़े ही चाव से देखा जाता है जिस प्रकार फिल्म को रिलीज करने से पहले सेंसर बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है मगर वेब सीरीज को रिलीज के लिए कही कोई परमिशन की आवश्यकता नहीं होती जब चाहे किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से रिलीज किया जा सकता है ज्यादातर बार यह देखा जाता है कि इन सीरीजो में दिखाऐं गए किरदार इतने रोचक कर दिए जाते है कि अगर कोई इसका एक भाग भी देख ले तो वह पूरा देखे बगैर नही रह पाता। वेब सीरीज एक नशे-सी लत होती है अगर किसी को लग जाए तो यह एक खतरनाक है।

सरकार के कदम:
अगर हमारे समाज को इन वेब सीरीज की अश्लीलता से बचाना है तो सरकार को इन वेब सीरीज पब्लिसर्स कंपनियों पर नजर बनाये रखनी होगी। इसके लिए सरकार वेब सीरीज को केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कर दे। अगर सरकार ऐसा करती है तो यह एक सराहनीय कदम होगा इससे समाज को इसके बुरे प्रभाव से बचाया जा सकता है।
साथियों वेब-सीरीज पर आपकी क्या राय है हमें कमेंट करके जरूर बताए।

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