Ray-Ban Success Story | रे-बैन सफ़लता की कहानी

नमस्कार साथियों आप सभी का स्वागत है हमारे इस ब्लाॅग पोस्ट पर, साथियों आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपकों वर्ल्ड की टाॅप सन-आई ग्लास कंपनी Ray-Ban की सफलता की कहानी बताएगें, साथ ही इस कंपनी के सभी उतार-चढ़ाव व इतिहास के बारें में भी बात करेंगे।

क्या आपके पास भी Ray-Ban का चश्मा है ?

‘नेसेसिटी इज द मदर ऑफ़ इन्वेंशन’ बचपन में किताबों में हम सबने ये लाइंस जरूर पढ़ी होगी, कुछ ऐसा ही किस्सा रे-बैन के चश्मों के साथ है, एयरफोर्स पायलट्स की परेशानी हल करने के लिए 86 साल पहले रे-बैन यानी सूरज की किरणों को रोकने (बैन) वाले चश्मे ईजाद किए गए, प्राथमिकता में एविएटर कहलाया, हालांकि चश्मे बनाने का आइडिया एक पायलट के मन में आया था, वे इस आइडिया के साथ एक अन्य ऑप्टिशियन जाॅन बाॅस के पास पहुंचे, फिर बाॅस ने बिजनेस पार्टनर लाॅम्ब के साथ मिलकर रे-बैन कंपनी शुरू की, बाॅश एंड लाॅम्ब ने 1999 में इसे लग्जोटिका ग्रुप को पांच हजार करोड़ रूपए में बेच दिया। लग्जोटिका के संस्थापक डेल वेकियो खुद भी चश्मे डिजाइन करते थे, क्या है रे-बैन की पूरी कहानी चलिए आज विस्तार से जानतें है।

इतिहास:

साथियों रे-बैन कंपनी की स्थापना साल 1936 में बाॅश एंड लाॅम्ब ने की, रे-बैन एक अमेरिकी इतालवी ब्रांड है, यह ब्रांड अपने वेफेयरर और सनग्लासेस की एविएटर लाइनों के लिए जाना जाता है, साल 1999 में, बाॅश एंड लाॅम्ब ने इस ब्रांड को इटैलियन आईवियर समूह लक्सोटिका ग्रुप को 640 मिलियन डाॅलर में बेच दिया।

शुरूआती सफर:

20वीं सदी की शुरूआत में एयरफोर्स के पायलट्स को विमान, माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ऊपर उड़ाने की इजाजत मिल गई, 30 हजार फुट से ऊपर ऊंचाई पर माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तापमान, ऊपर से सूरज की चमकती किरणें चुनौती बन रही थीं, पायलट्स ने बताया कि सूरज की चमक से सिर दर्द होने लगता है, इससे बचने के लिए वे लैदर की हुडी पहनने के साथ फर वाले चश्मे लगाने लगे, पर यह सुविधाजनक नहीं थे, अमेरिकी वायु सेना में कर्नल मैकरेडी ने जब विमान उड़ाया, तो उनके साथ ही यही समस्या हुई, इससे बचने के लिए मैकरेडी ने बाॅस एंड लाॅम्ब के साथ मिलकर ऐसे चश्मे डिजाइन करना शुरू किए, जो खासतौर पर इतनी ज्यादा ऊंचाइयों पर काम आ सकें, यही रे-बैन की नींव बनी।

व्यापार:

रे-बैन की पैरेंट कंपनी इटली का लग्जोटिका ग्रुप है, इससे पहले अमेरिकी कंपनी बाॅश एंड लाॅम्ब इसे संभालती थी, लग्जोटिका दुनिया की सबसे बड़ी आइवियर कंपनी है, प्रीमियम, लग्जरी और स्पोट्र्स आइवियर कैटेगरी में इसके दुनियाभर में 7100 से ज्यादा स्टोर है। लग्जोटिका रे-बैन के अलावा डोल्चे गबाना, अरमानी, वरसाचे से लेकर वोग आइवियर मिलाकर कुल 32 ब्रांड्स के चश्मे बेचती है। रे-बैन दुनिया का सबसे ज्यादा वैल्यूएबल ऑप्टिकल ब्रांड है और लग्जोटिका का 40 फीसदी मुनाफा रे-बैन की सेल्स से आता है। कंपनी हर साल औसतन 15 हजार करोड़ रूपए के रे-बैन चश्मे बेचती है।

जरूरत:

अमेरिका बिजनेसमैन बाॅश एंड लाॅम्ब ने प्लास्टिक वाले ग्रीन लैंस के चश्मे ईजाद किए, 1930 तक आते-आते बाॅश एंड लाॅम्ब ने रे-बैन सनग्लासेस का इस वादे के साथ विज्ञापन करना शुरू कर दिया कि ये ग्लेयर से सुरक्षा देने वाले वाकई साइंटिफिक चश्मे हैं, ये स्पोट्र्स इक्विपमेंट की तरह बिकते थे, 1937 में एंटी-ग्लेयर आइवियर की सेल शुरू हुई, ओरिजिनल चश्मे का फ्रेम प्लास्टिक का और एविएटर शेप में था, फिर उसी साल मेटल का फ्रेम बनाया गया और रे-बैन और रे-बैन एविएटर चश्मे की ब्रांडिंग शुरू हुई, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एविएटर्स अमेरिकी सैनिकों के लिए जरूरी उपकरण-सा बन गया, इसे पहनने वालों में जनरल डगलस मैकआर्थर भी थे, सैनिकों के जरिए इसकी दुनियाभर में ब्रांडिंग हो गई।

स्मार्ट ग्लास:

2021 में मार्क जुकरबर्ग (मेटा) ने लग्जोटिका के साथ मिलकर ‘रे-बैन स्टोरीज’ स्मार्ट ग्लास लाॅन्च किए, आम चश्मे की तरह दिखने वाले इन चश्मों से न सिर्फ ऑडियो-वीडियो रिकाॅर्ड कर सकते हैं, ऑडियो सुन सकते हैं, यहां तक कि माइक्रोफोन के जरिए बात भी कर सकते हैं, इसके अलावा फेसबुक व्यू एप् के जरिए फेसबुक पर पोस्ट भी कर सकते हैं, हालांकि यह अभी ऑगमेंटेड रिएलिटी के साथ उपलब्ध नहीं हैं।

अनऑफिसियल ब्रांड एम्बेसडर:

रे-बैन चश्मो की सेल्स बढ़ाने और कंपनी को डूबने से बचाने में हाॅलीवुड एक्टर टाॅम क्रूज का बहुत बड़ा हाथ है, 1981 में रे-बैन चश्मो की सेल्स गिरकर सालभर में महज 18 हजार यूनिट तक आ गई थी, उस दौरान कंपनी ने इसके उत्पादन को रोकने का फैसला तक ले लिया था और दिवालिया होने की नौबत तक आ गई थी, पर दो साल बाद 1983 में हाॅलीवुड अभिनेता टाॅम क्रूज ने फिल्म ‘रिस्की बिजनेस’ में रे-बैन का वेफेरर चश्मा पहना, और फिर उसी साल इसकी सेल्स 40% बढ़कर तीन लाख 60 हजार चश्मे तक पहुंच गई, 1986 में आई फिल्म टाॅप गन के समय भी यही हुआ, इस साल मई 2022 में आई फिल्म ‘टाॅप गन मैवरिक’ के रिलीज होने के बाद से रे-बैन चश्मों की सेल फिर से अचानक बढ़ गई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक मई के बाद से रे-बैन के कुछेक माॅडल्स की सेल राॅकेट की गति से बढ़ी है।

FAQ :

Ray-Ban कंपनी का संस्थापक कौन है ?
बाॅश एंड लाॅम्ब
Ray-Ban की स्थापना कब हुई ?
1936
Ray-Ban का मालिक कौन है ?
लग्जोटिका ग्रुप
लग्जोटिका ग्रुप के संस्थापक कौन है?
डेल वेकियो

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