HDFC Success Story | HDFC सफलता की कहानी

नमस्कार साथियों आज के इस पोस्ट में हम बैंकिंग कंपनी HDFC बैंक की सफलता की कहानी जानेंगे।
साल 2022 गुजरते-गुजरते बैंकिंग जगत की सबसे बड़ी खबर पर मुहर लग गई। HDFC (हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस काॅपोरेशन) ने 13 दिसंबर को बताया कि HDFC ने बैंक के साथ इसके विलय को स्टाॅक एक्सचेंज NSE और BSE ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। हालांकि RBI की ओर से पहले ही अप्रवूल मिल गया था। इस साल अप्रैल में पहली बार मर्जर की यह खबर आई थी अब विलय की पूरी प्रक्रिया अगले साल पूरी हो जाएगी। डील होने के बाद HDFC बैंक 100 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डर कंपनी बन जाएगी। यह देश के बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा मर्जर होने जा रहा है। मार्केट कैप के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बैंक 2014 से 2021 तक लगातार देश का सबसे ज्यादा मूल्यवान ब्रांड रहा है। ग्राहक संख्या के हिसाब से SBI सबसे बड़ा बैंक है।

स्थापना: 1994

मार्केट कैप: 9 लाख करोड़ से अधिक

शुरूआत:

फरवरी 1994 की बात है। सुबह-सुबह कुआलालंपुर (मलेशिया) में सिटीबैंक के दफ्तर में फोन बजा। सिटीबैंक के सीईओ (मलेशिया) आदित्य पुरी ने फोन पर बात की, दूसरी ओर HDFC लिमिटेड के दीपक पारेख थे। दोनों पुराने मित्र थे। उसी वीकेड दोनों की कुआलालंपुर में मुलाकात हुई। दीपक ने कहा ‘HDFC को जल्द ही बैंकिंग का लाइसेंस मिलने वाला है। आप दुनियाभर में घूमते हैं,, अब भारत लौटने का समय आ गया है। मैं चाहता हूं कि आप एक बैंक को खड़ा करें।’ उस समय आदित्य को 32 लाख रू सालाना सैलरी मिलती थी। इतनी सैलरी देना मुमकिन नहीं था। इसलिए स्टाॅक्स देने की पेशकश हुई। आदित्य ने 24 घंटे का समय मांगा और अगले दिन उन्होंने हां कर दी। इस तरह आदित्य HDFC बैंक के संस्थापक सीईओ बने।

फ्लैशबेक:

थोड़ा पीछे चलते हैं। HDFC के जरिए देश में होम लोन बांटने वाली कंपनी, बैंकिंग में आने को 1987 से ही आतुर थी। हालांकि HDFC के संस्थापक हंसमुख भाई पारेख ऐसा नहीं चाहते थे। लेकिन उनके भतीजे दीपक ने बैंकिंग का तय कर लिया था। यह जानना दिलचस्प है कि हंसमुख भाई खुद ICICI(बैंक नहीं) के चेयरमैन रहे थे। 90 के दशक में मनमोहन सिंह ने उदारीकरण शुरू कर दिया। 1994 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग के विस्तार के लिए निजी बैंक शुरू करने की संविदाएं मांगी। कुल 110 आवेदन आए। इसमें कुछ निजी लोगों ने भी आवेदन किया। और इस तरह HDFC के सब्सिडरी के रूप् में HDFC बैंक की शुरूआत हो गई। रोचक है कि इन सालों में एचडीएफ बैंक ने होम लोन सेवा की शुरूआत नहीं की।

दबदबा:

दीपक पारेख शुरूआत मे संशय में थे कि अगर बैंक अच्छा प्रदर्षन नहीं कर पाया, तो इससे HDFC की सालों की साख पर ऑफ़ इंडिया समेत दर्जन भर नाम सुझाए गए। पर सहमति HDFC बैंक पर ही बनी। हालांकि इन 28 सालों में HDFC बैंक ने HDFC (4.87 लाख करोड़ मार्केट कैप) को पीछे कर दिया। HDFC की कारोबारी कमाई में उसी के बैंक में करीब 26 परसेंट की हिस्सेदारी से भी भारी-भरकम कमाई होती थी। अब दोनेां के विलय के बाद नई इकाई के पास सम्मिलित रूप में करीब 18 लाख करोड़ रूपए की परिसंपत्तिया होंगी। विलय के बाद HDFC बैंक का आकार ICICI बैंक के दोगुने से ज्यादा हो जाएगा।

ग्राहक फायदे में:

विलय पूरा होने के बाद शेयरधारकों को फायदा होगा। HDFC बैंक में हाउसिंग डेवलपमेंट की 21 हिस्सेदारी है। इस डील के तहत HDFC लिमिटेड के शेयरहोल्डर्स को 2 रूपये फेस वैल्यू वाले 25 शेयर्स के बदले बैंक के 42 शेयर मिलेंगे। पब्लिक शेयरहोल्डिंग वाली कंपनी बन जाएगी।

HDFC बैंक के 28 साल:

  • 1995 में पांच गुना सब्सक्राइब हुआ था इसका आईपीओ।
  • 1999 में देश का पहला इंटरनेशनल डेबिट कार्ड लाॅन्च किया।
  • 2001 में न्यूयाॅर्क स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्ट हुआ था।
  • 05 एशिया को आकार देने वाले टाॅप 5 कंपनियों में शामिल।
  • 6499 ब्रांच है बैंक की, 3226 शहरों में 18,868 एटीएम है।
  • 2.5 करोड़ से ज्यादा ग्राहक है देश भर में।

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