Bisleri Success Story in Hindi | बिस्लेरी सफलता की कहानी

नमस्कार, आज के इस पोस्ट पैकेज्ड वाॅटर ब्रांड बिस्लेरी की सफलता की कहानी जानेंगे।
आधी सदी पहले देश में बिस्लेरी ने बोतलों में पानी बेचने की शुरूआत की। आकर्षक टैगलाइन के साथ विज्ञापनों से बाजार में अपनी जगह बनाई। 57 साल पुरानी कंपनी बिस्लेरी का आज भारतीय वाॅटर बाॅटल इंडस्ट्री में 60 फीसदी मार्केट शेयर है। कंपनी के कुल 135 प्लाॅट्स हैं जिसकी मदद से वे रोजना 2 करोड़ लीटर से भी अधिक पानी बेचती है। लेकिन अब ‘बिस्लेरी’ ब्रांड टाटा का होने जा रहा है। माना जा रहा है कि 7 हजार करोड़ रूपए में बिस्लेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और टाटा कंज्यूमर के बीच डील हो सकती है। हालांकि बिस्लेरी के मालिक रमेश चौहान इससे पहले 2017 में ही बिस्लेरी को बेचने का मन बना चुके थे।

BisleriWater Brands
मालिक रमेश चौहान
संस्थापकफेलिस बिसलरी
स्थापना1965
आय15 बिलियन INR
मुख्यालयमुम्बई

शुरूआत:

बिस्लेरी की शुरूआत 1921 में इटली के बिजनेसमैन फेलिस बिस्लेरी ने की थी। शुरूआत में बिस्लेरी मलेरिया की दवा बेचती थी। फेलिस के एक फैमिली डाॅक्टर हुआ करते थे, जिनका नाम रोजिज था। रोजिज को बिजनेस में काफी रूचि थी। 1921 में फेलिस का निधन हो गया और बिस्लेरी की जिम्मेदारी डाॅ. रोजिज को मिली। कंपनी की बागडोर संभालते हुए एक दिन रोजिज ने अपने दोस्त के बेटे खुशरू संतुक को पानी के बिजनेस का आइडिया सुनाया। संतुक वकील बनना चाहते थे। भारत उन दिनों आजाद ही हुआ था। रोजिज ने सोचा कि पानी का बिजनेस आने वाले दिनों में सफल हो सकता है। रोजिज ने खुशरू को इस बिजनेस के लिए मना लिया और 1965 में खुशरू संतुक ने मुंबई के ठाणे में पहला ‘बिस्लेरी वाॅटर प्लांट’ स्थापित किया।

टर्निग पाॅइंट:

बिस्लेरी ने वाटर और सोडा के साथ भारतीय बाजार में कदम रखा। शुरूआती दिनों में बिस्लेरी के उत्पाद एक खास वर्ग तक ही सीमित थे। यही वजह रही कि खुशरू को पानी का बिजनेस कुछ खास नहीं जमा और उन्होंने इसे बेचने का मन बना लिया। यह खबर सुनते ही पारले कंपनी के मालिक ‘चौहान ब्रदर्स’ ने बिस्लेरी को खरीदने की पेशकश कर डाली। 1969 में उन्होंने बिस्लेरी को 4 लाख रूपए में खरीद लिया। उस दौरान भारत में सार्वजनिक स्थानों पर पीने के पानी की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी। इस वजह से लोग मजबूरी में सादा सोडा खरीद कर पीते थे। इसी को ध्यान में रखते हुए पारले ने लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या बढ़ा दी। और बिस्लेरी ने भारत में वाटर मार्केट का बिजनेस खड़ा कर दिया।

क्या आप भी Bisleri ब्रांड का इस्तेमाल करते है ?

रोचक:

साल 1956 से लेकर 1976 तक भारत को कोल्ड ड्रिंक बाजार कोका कोला के पास था। लेकिन 1977 में फाॅरेन एक्सचेंज एक्ट लागू होने के बाद कोका-कोला ने भारत में कोल्ड ड्रिंक बिजनेस बंद कर दिया। ये फैसला चौहान ब्रदर्स के लिए अवसर की तरह था। उन्होंने थम्स-अप को भारत में लांच किया। इसके तकरीबन 20 साल तक थम्स-अप ने भारतीय कोल्ड ड्रिंक मार्केट में कब्जा जमा लिया। लेकिन बिस्लेरी के स्वामित्व वाला कोल्ड ड्रिंक ब्रांड, फ्रेचाइजी माॅडल पर निर्भर था और वितरक इस माॅडल से खुश नही थे। वितरक कंपनी के मालिक रमेश चौहान के नेतृत्व से भी वे नाराज थे। इसलिए उन्होंने कोका-कोला की ओर रूख करना शुरू कर दिया। आखिरकार 1999 में कोका-कोला ने थम्स-अप का पारले से खरीद लिया ।

बिस्लेरी का चेहरा:

बिस्लेरी को घर-घर पहुंचाने का काम रमेश चौहान (82वर्ष) ने किया। उन्होंने लिम्का, थम्स-अप, गोल्ड-स्पाॅट जैसे ब्रांड्स को भी स्थापित किया। हालांकि कुछ फैसलों के कारण उन्होंने ये बिजनेस बेच दिए। अभी बिस्लेरी मिनरल वाॅटर के अलावा, हिमालयन स्प्रिंग वाॅटर, फिजी ड्रिंक और हैंड प्यूरिफायर का उत्पादन करता है। कंपनी बेचने का बाद रमेश चौहान अब बिस्लेरी में कोई हिस्सेदारी नही रखना चाहते, वह दूसरे बिजनेस में निवेश करने के इच्छुक हैं।

बिस्लेरी का सफर:

  • 1965: बिस्लेरी की पहली फैक्ट्री स्थापित हुई।
  • 1969: पारले ने 4 लाख में बिस्लेरी को खरीदा
  • 1991: 20 लीटर पैकिंग में शुरूआत की।
  • 1993: बिस्लेरी सोडा का उत्पादन बंद किया।
  • 1995: 5 रूपए की पानी की बोतल शुरू की।
  • 2011: क्लब सोडा की शुरूआत की।
  • 2012: बिस्लेरी वेदिका की शुरूआत हुई।
  • 2016: बिस्लेरी ने चार फिजी ड्रिंक लांच की।
  • 2017: क्षेत्रीय भाषाओं में लेबल की शुरूआत।
  • 2018: मुंबई में वर्टिकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट।

Leave a Comment