आज के इस पोस्ट में हम अन्ना मणि के जीवन के बारें में जानेंगे, अन्ना मणि के जन्मदिवस पर आज (23 अगस्त 2022) Gooogle ने Doodle बनाकर सम्मानित किया है, अन्ना मणि का समाज व देश में क्या योगदान रहा है, उनका प्रारंभिक जीवन, उनकी शिक्षा-दीक्षा व उनके जीवन के उन सभी पहलूओं को भी जानने का प्रयास करेंगे जिनकी बदौलत आज Google ने भी Doodle बनाकर उनके प्रति सम्मान जताया है।
साथियों अन्ना मणि एक भारतीय भौतिक और मौसम वैज्ञानिक थीं, इसके अलावा वह भारत के मौसम विभाग की उप-निदेशक भी रह चुकी है, उन्होंने मौसम उपकरण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, सौर विकिरण, ओजोन और पवन ऊर्जा माप के विषय में अनेक अनुसंधान किए है और कई शोध पत्र भी प्रकाशित किए है।
प्रारंभिक जीवन:
अन्ना मोदयिल मणि का जन्म 23 अगस्त, 1918 को पीरूमेडू, त्रवनकोर (केरल) में एक ईसाई परिवार में हुआ था, उनके पिता एक सिविल इंजीनियर और अज्ञेयवादी थे, अन्ना मणि आठ भाई-बहन में सातवें नंबर की थी, वह बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृति की बच्ची थी, उनका पढ़ाई के प्रति बहुत ही गहरा नाता रहा था, इसके अलावा वह गांधी जी के वैकोम सत्याग्रह से काफी प्रभावित रही थी, वह राष्ट्रवादी आंदोलन से इतना प्रभावित हुई की उन्होंने इस आंदोलन के बाद से केवल खादी के कपड़े पहनना शुरू कर दिया था, पढ़ाई व शोध में गहरी रूचि के कारण उन्होंने शादी तक नही की थी।
अन्ना मणि का परिवार शुरू से ही उच्च-वर्गीय पेशेवर परिवार था, इनके परिवार वाले शिक्षा को लेकर काफी जागरूक व शिक्षा के महत्व को भली-भांति जानते थे, इनके परिवार का मानना था लड़कों को अगर आप उच्च स्तरीय शिक्षा देते है तो बेटियों को भी कम से कम प्राथमिक शिक्षा तो जरूर दें, इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते है अन्ना मणि ने अपने जीवन के प्रारंभिक 8 वर्षो के दौरान ही मलयालम सार्वजनिक पुस्कालय के लगभग सभी किताबों को पढ़ डाला था, इसके बाद जब वह 12 वर्ष की हुई तब तक उसने अंग्रेजी की उस दौरान चलने वाली सभी किताबें पढ़ डाली थी।
रोचक तथ्य:
अन्ना मणि से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि जब अन्ना का 8वां जन्मदिन मनाया जा रहा था तब उनके घरवालों की तरफ से हीरे की बालियों के एक सेट के रूप में पारंपरिक उपहार दिए जा रहे थे लेकिन उन्होंने यह लेने से मना कर दिया और इसके बजाय एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के एक सेट को चुना।
इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते है कि उनका पढ़ाई व किताबों के प्रति कितनी गहरी रूचि रही होगी।
शिक्षा:
अन्ना मणि ने 1939 में चेन्नई (मद्रास) के प्रेसिडेन्सी काॅलेज से उन्होंने भौतिक और रसायन विज्ञान में बीएससी ओनर्स की डिग्री के साथ में स्नातक की उपाधि ग्रहण की थी।
अन्ना मणि ने 1940 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में शोध के लिए छात्रवृत्ति भी ली, इसके बाद वह 1945 में भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई के लिए इंपीरियल काॅलेज, लंदन भी गई, जहां से उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों की विशेषज्ञता हासिल कर ली।
1948 में अन्ना मणि जब वापस भारत लौटी तो उन्होंने पूर्ण स्थित मौसम विभाग में नौकरी करना प्रारंभ कर दिया, जहां से उन्होंने मौसम विज्ञान उपकरणों कें विषय में कई शोध पत्र भी लिखे। 1969 में उप महानिदेशक के पद पर उनका तबादला दिल्ली में हुआ, इसके बाद वह कुछ समय के लिए वह मिस्त्र में WMO सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद वह आगे चलकर 1976 में भारतीय मौसम विभाग की उप-निदेशक पद से सेवानिवृत हुई।
कैरियर:
अन्ना मणि ने पचाई काॅलेज से स्नातक की पढ़ाई के बाद प्रोफेसर सी वी रमन के अधीन काम करना प्रारंभ कर दिया था, मणि ने रूबी और हीरे के ऑप्टिकल पर भी गहराई से शोध किया था, उनके द्वारा पांच शोध पत्र भी लिखे और अपना P.hd शोध प्रबंध भी प्रस्तुत किया, मगर उनकों P.hd की डिग्री हासिल नही हुई क्योंकि उनके पास भौतिकी में मास्टर की डिग्री नही थी।
जब अन्ना मणि 1948 में भारत लौटी और पुणे स्थित मौसम विभाग में शामिल हुई उसके बाद उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों पर कई शोध पत्र भी प्रकाषित किए, माना जाता है कि उनके ज्यादातर शोध ब्रिटेन से आयातित मौसम संबंधी उपकरण पर थे।
अन्ना मणि मौसम यंत्रों की दृष्टि से भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहती थी, उसने करीब 100 विभिन्न मौसम उपकरणों के चित्र को मानकीकृत किया, इसके अलावा 1957-58 आते-आते उन्होंने सौर विकिरण को मापने के लिए स्टेशनों का एक नेटवर्क भी स्थापित कर दिया था।
अन्ना मणि ने बंगलौर में एक कार्यशाला को भी स्थापित किया जो हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने का कार्य करती थी, इसके अलावा उन्होंने ओजोन परत पर भी गहरा शोध किया जिसके चलते आगे चलकर उन्हें इंटरनेशनल ओजोन एसोसिएशन का सदस्य भी बनाया गया था।
अन्ना मणि के द्वारा ही थुम्बा राॅकेट लाॅन्चिंग में मौसम संबंधी वेधशाला और एक इंस्ट्रूमेंटेशन टाॅवर को स्थापित किया गया था।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
अन्ना मणि को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी, अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा सोसायटी, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय भौतिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ से जुड़ी।
1987 में उनके कार्य के प्रति लगन व योगदान के बदले उन्हें INSA K. R. Ramanathan Medal से नवाजा गया था।
देहांत:
16 अगस्त 2001 को अन्ना मणि ने तिरूवनंतपुरम में इस दुनिया को अलविदा कह दिया, 23 अगस्त 2022 को अन्ना मणि के जन्म दिवस के मौके पर Google ने Doodleबनाकर सम्मानित किया।
