सेंगोल(Sengol) क्या है ? सम्पूर्ण जानकारी

नमस्कार इन दिनों पूरे देश में नई संसद की चर्चाएं आम बनी हुई है, इस बीच हम एक शब्द बार-बार सुनते आ रहे है “सेंगोल” जिसको लेकर देश की राजनीति भी गरमाई हुई है।
जहां 28 मई को नई संसद का उद्घाटन होने वाला है और देश के प्रमुख 19 दलों ने इस नए संसद भवन का बहिष्कार करते हुए उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने से इंनकार कर दिया है।

“सेंगोल” क्या है ?

सेंगोल मूलतः तमिल भाषा के ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। सेंगोल का इतिहास काफी पुराना माना जाता है, सेंगोल को हिन्दी भाषा में ‘राजदंड’ भी कहा जाता है, सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक भी माना जाता है और सेंगोल हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है।

सेंगोल का इतिहास:

सेंगोल को सर्वप्रथम 14 अगस्त 1947 को तमिलनाडु की जनता ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया था। सेंगोल का इतिहास काफी प्राचीन बताया जाता है इसे प्राचीन समय में सत्ता के हस्तांतरण के समय दिया जाता था, सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है जिसका हिंदी में मतलब होता है “धन से भरा हुआ”
सेंगोल को हमारी प्राचीन संस्कृति व सत्ता का प्रतीक माना जाता रहा है।

सेंगोल का संसद में स्थान:

सेंगोल को देश की नव-निर्मित संसद में स्पीकर की कुर्सी के पास ही स्थापित किया जाएगा ताकि यह हर समय हमारी प्राचीन संस्कृति को जीवित रखने की याद दिलाती रहे।
देश गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल का महत्व बताते हुए इसे नई संसद में स्थापित करना जरूरी बताया है।
सेंगोल से जुड़ी यह जानकारी आपकों कैसी लगी कमेंट करके हमे जरूर बताए। धन्यवाद

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