Marvel Entertainment Company Success Story | मार्वल सफलता की कहानी

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम एंटरटेनमेंट कंपनी मार्वल की सफलता की कहानी जानेंगे।
मार्वल जिसने दुनिया को आयरन-मैन, कैप्टन-अमेरिका, ब्लैक पैंथर जैसे सुपरहीरों दिए। आज मार्वल दुनिया की सबसे बड़ी सुपरहीरो फ्रेंचाइजी है। डिज्नी के अंतगर्त आने वाली मार्वल, दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टूडियो भी है। मार्वल की शुरूआत काॅमिक के रूप में में हुई थी। 1939 में मार्टिन गुडमैन ने कंपनी की नींव रखी थी। अपनी 83 साल की यात्रा में मार्वल ने कई उतार-चढ़ाव देखे। एक दौर ऐसा भी था जब ये दिवालिया हो चुकी थी। 27 हजार से ज्यादा काॅमिक पब्लिश करने वाली कंपनी हैं। वहीं 27 से ज्यादा फिल्में बनाई हैं। बिजनेस के नजरिए से देखें तो मार्वल ने पिछले 13 सालों में ही 2 लाख करोड़ रूपए की कमाई की है। हाल ही में मार्वल यूनिवर्स की फिल्म वकांडा फाॅरेवर रिलीज हुई है, जिससे कंपनी सुर्खियों में आ गई है।

MarvelEntertainment Company
कब बनी1939
कमाई 2 लाख करोड़ रूपए (2009 से अब तक )
मार्वल1.96 लाख करोड़
पिक्सर1.2 लाख करोड़
स्टार वार्स90 हजार करोड़
हैरी पाॅटर73 हजार करोड़
जेम्स बाॅन्ड 57 हजार करोड़

शुरूआत:

मार्वल वन की शुरूआती सफलता के बाद 1941 में कैप्टन अमेरिका के कैरेक्टर की शुरूआत हुई। उस समय काॅमिक का मशहूर पोस्टर भी चर्चा में आया था जिसमें कैप्टन अमेरिका का किरदार हिटलर को पंच मारता दिखाई देता हैं कंपनी के मालिक गुडमैन ने 1950 में टाइमली काॅमिक्स का नाम बदलकर एटलस काॅमिक्स रख दिया। 1960 के दौर में टाइमली काॅमिक्स का मुख्य प्रतियोगी डीसी काॅमिक्स हुआ करता था जिससे मुकाबला करने के लिए मार्वल ने स्पाइडरमैन और फैंटास्टिक फेार जैसे केरेक्टर को लांच किया। 1963 में टाइमली काॅमिक्स का नाम मार्वल काॅमिक्स पड़ गया जो नाम आज भी कायम है। 1973 में गुडमैन ने मार्वल एंटनरटेनमेंट ग्रुप की शुरूआत की। इसके बाद से ही मार्वल में टीवी सीरीज और मूवी का दौर शुरू हो गया।

बिजनेस:

मार्वल एंटरटेनमेंट के लिए एक दौर ऐसा भी आया था, जब कंपनी दिवालिया हो गई थी। 1989 में न्यू वर्ल्ड एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने मार्वल को करीब 670 करोड़ रूपए में खरीद लिया था। इसके 2 साल बाद ही कंपनी की स्टाॅक मार्केट में एंट्री हो गई। बाद में कुछ खराब बिजनेस डील्स के चलते मार्वल की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी। 1993 में जहां कंपनी का शेयर 35 डाॅलर का था वो तीन साल बाद 1996 में घटकर 2 डाॅलर पर पहुंच गया। आर्थिक संकट के बीच कंपनी को एक्स-मेन और फैंटास्टिक फेार के राइट्स 20वीं सेंचुरी फाॅक्स को बेचने पड़े। वहीं स्पाइडर-मैन के राइट्स सोनी को बेच। इसके बाद ही कंपनी दिवालिया हो गई थी। सालों तक बोर्ड मेंबर्स के बीच कानूनी लड़ाई चली और 1998 में जाकर विवाद थमा।

टर्निंग पाॅइंट:

मार्वल में करीब एक दशक की उथल-पुथल के बाद 1998 में जाकर कंपनी का बिजनेस वापस पटरी पर लौटा। उसी साल टाॅय ब्रिज ने मार्वल को खरीदने में दिलचस्पी जताई और अपनी कंपनी बिज ग्रुप और मार्वल एंटनरटेंनमेंट का मर्जर कर दिया। मर्जर के बाद भी बोर्ड मेंबर्स के बीच कानूनी लड़ाई जारी थी। 2009 आते-आते वाॅल्ट डिज्नी ने मार्वल को करीब 32 हजार करोड़ रूपए में खरीद लिया। यह फैसला डिज्नी के लिए फायदेमेंद साबित हुआ। क्योंकि सौदे के महज 13 साल में ही मार्वल ने डिज्नी का 6 गुना ज्यादा मुनाफा करा दिया है। अब तक मार्वल के जरिए डिज्नी ने 2 लाख करोड़ रूपए कमा लिए हैं। इसके साथ ही मार्वल की वजह से डिज्नी के ऑनलाइन ओटीटी प्लेटफाॅर्म हाॅटस्टार पर एक करोड़ नए ग्राहक जुड़े हैं।

रोचक तथ्य:

1984 में जब मार्वल अपने शिखर पर था तब उसने डीसी काॅमिक्स को खरीदने का ऑफर दिया था। डील लगभग हो ही गई थी लेकिन बाद में डीसी ने ऑफर नकार दिया।
90 के दशक की शुरूआत में माइकल जैक्स ने मार्वल एंटरटेनमेंट को खरीदने की कोशिश की थी। वे स्पाइडर-मैन फिल्म सीरिज में मुख्य अभिनय करना चाहते थे।
रैंडी शूएलर नाम के एक मार्वल फैन ने वेनम का किरदार एक कंटेस्ट के लिए बनाया था, जिसके बाद मार्वल ने उस किरदार को 220 डाॅलर देकर खरीद लिया था।

स्टेन ली:

स्टेन ली ने सबसे पहले 1939 में टाइमली काॅमिक्स के साथ काम किया। लेकिन वर्ल्ड वाॅर के दौरान वे अमेरिकाई फौज में भर्ती हो गए। 1961 में दोबारा मार्वल जाॅइन किया और स्पाइडरमैन’, ‘एक्स मैन’ एवं ‘द एवेंजर्स’ जैसे सुपरहीरो किरदारों का निर्माण किया। 2018 में स्टेन ली का निधन हो गया था।

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