Lenskart Success Story | लैंसकार्ट सफलता की कहानी

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम आईवियर कंपनी लैंसकार्ट की सफलता की कहानी जानेंगे।

कब बनी2010
वैल्युएशन37 हजार करोड़ रूपए

देश के चंद महीनों पहले तक 100 स्टार्टअप यूनिकाॅर्न थे। मतलब वैल्युएशन एक अरब डाॅलर से ज्यादा थी। पर ताजा आंकड़ों के अनुसार यह संख्या घटकर 85 हो गई है। इनमें भी चंद स्टार्टअप ऐसे हैं, जो मजबूत बैलेंस शीट के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन के साथ ऑफ़लाइन चश्मे, लैंस बेचने वाली कंपनी लैंसकार्ट ऐसा ही एक नाम है। लैंसकार्ट महज एक दशक पहले अस्तित्व में आई, पर इसी वैल्युएशन से लगातार बढ़ रही है। जुलाई 2021 में इसकी वैल्युएशन 80 फीसदी बढ़कर 4.5 अरब डाॅलर से ज्यादा हो गई है। जुलाई में अल्फा वेव ग्लोबल से 200 मिलियन डाॅलर की फंडिंग लेने के बाद लगातार तीसरी बार लैंसकार्ट की वैल्युएशन में इजाफा हुआ। कंपनी का रेवेन्यु भी बढ़ रहा है। वित्तिय वर्ष 2022 में यह 66 प्रतिशत बढ़कर 1502 करोड़ रूपए का घाटा हुआ। लैंसकार्ट इस साल के आखिर तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की कोशिश कर रही है। लैंसकार्ट के सह-संस्थापक पीयूष बंसल शार्क टैंक के सीजन-2 में भी जज हैं।

शुरूआत:

लैंसकार्ट की स्थापना नवंबर 2010 में पीयूष बंसल ने अमित चौधरी, सुमीत कपाही और नेहा बंसल के साथ मिलकर की थी। इससे पहले इन तीनों ने मिलकर ई-काॅमर्स फर्म ‘वैल्यू टेक्नोलाॅजीज’ बनाई थी। फिर 2010 में अमेरिका में फ्लायर नाम से काॅन्टैक्ट लेंस और चश्मे बेचना शुरू कर दिया। पीयूष कहते हैं कि भारत की आधी आबादी आंखों की समस्या पर ध्यान नहीं देती थी। यहीं से उन्हें चश्मे बेचने का आइडिया आया। भारत में एक दशक पहले ऑनलाइन चश्मे और लैंस बेचना बेहद मुश्किल काम था और बाजार पर असंगठित दुकानों का कब्जा था।
पीयूष 14 दिन के लिए ‘नो क्वेष्चन आस्क्ड रिटर्न पाॅलिसी’ लेकर आए। चश्मो के लिए काॅल सेंटर भी बनाया। इससे बाजार से अच्छी प्रतिक्रिया मिली।

दिल्ली के पीयूष बंसल ने कनाडा से इंजीनियरिंग की। सेकंड ईयर में ही माइक्रोसाॅफ्ट में इंटनेशिप की, इस बीच उन्हें बिल गेट्स से मिलने का भी मौका मिला। एक इंटरव्यू में पीयूष बताते है कि बिल गेट्स के घर पहुंचते ही उन्हें दुनिया बदलने का आइडिया आया। आगे यही आत्मविष्वास लैंसकार्ट की शुरूआत करने की ताकत बना। पीयूष ने एक साल तक माइक्रोसाॅफ्ट में काम किया।

रणनीति:

लैंसकार्ट (वैल्यू टेक्नोलाॅजीज) को बाजार में एंट्री के साथ ही शुरूआती सफलता मिलने लगी। इसके बाद आईडीजी वेंचर्स ने लैंसकार्ट में निवेश की इच्छा जताई। आईडीजी ने 22 करोड़ रूपए की फंडिंग की। पर एक शर्त थी कि लैंसकार्ट सिर्फ चश्मे नहीं बैग, जूलरी और घड़ियां भी बेचेगा। पर पीयूष सिर्फ चष्मों का बिजनेस करना चाहते थे। इस बीच राॅनी स्क्रूवाला ने पीयूष को मिलने के लिए मुंबई बुलाया। वह वैल्यु टेक्नोलाॅजीज में निवेश कर चुके थे। स्क्रूवाला ने पीयूष को मिलने के लिए मुंबई बुलाया। वह वैल्यू टेक्नोलाॅजीज में निवेश कर चुके थे। स्क्रूवाला ने उन्हें सिर्फ चष्मों पर फोकस करने के लिए कहा। इसके बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लैंसकार्ट अपने निवेशक आईडीजी वेंचर्स के कहने पर बैग, घड़ियां भी बेचने लगा था। 2013 में बाकी बिजनेस बंद करके चश्मे पर फोकस किया।

क्षमता:

लैंसकार्ट की भारत में दिल्ली, गुरूग्राम समेत, चीन के झेंगझोउ में भी उत्पादन इकाई है। पर अब कंपनी अपना सारा उत्पादन राजस्थान के भिवाड़ी में केंद्रित करने की योजना बना रही है। कंपनी ने भिवाड़ी में देश की पहली और दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमैटेड आईवियर मैन्युफेक्चरिंग फैसलिटी स्थपित की है। यहां लैंस लैब और फ्रेम मैन्युफैक्चरिंग सेंटर भी है। इसे अत्याधुनिक डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर बनाने के लिए लैंसकार्ट ने रोबोटिक्स फर्म एडवर्ब टेक्नोलाॅजीज के साथ करार किया है। कंपनी सभी उत्पादन इकाइयों का कामकाज भिवाड़ी लाने की योजना बना रही है।
भिवाड़ी (राजस्थान) उत्पादन इकाई में मोबाइल बाॅट्स का इस्तेमाल होता है और हर साल 1 करोड़ ग्राहकों के लिए चश्मे बना सकती है।

लैंसकार्ट का बाजार:

  • 70 से ज्यादा ग्राहक हैं लैंसकार्ट के भारत और विदेशो में मिलाकर।
  • 1100 स्टोर्स हैं भारत में लैंसकार्ट के। प्रतिस्पर्धी टाइटन आई प्लस के 760 स्टोर हैं।
  • 60 प्रतिशत बिजनेस मेट्रो शहर से आता है। टियर-2, टियर-थ्री शहरों से बिजनेस ग्रोथ बढ़ रही है।
  • 94 प्रतिशत आय आईवियर उत्पादों की बिक्री से होती है, बाकी सब्सक्रिप्षन के जरिए।
  • 03 हजार करोड़ रूपए में जापान की आईवियर कंपनी ओनडेज का अधिग्रहण किया 2022 में।
  • 300 लोग काम करते हैं इंजीनियरिंग टीम में, कुल 5 हजार कर्मचारी हैं।

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