India-Canada Relationship in Hindi | भारत कनाडा सम्बंध

साथियों आज के इस पोस्ट मे हम आपको भारत-कनाडा के आपसी रिश्तों पर पूरा विश्लेषण करके बताएगें और इन दोनों देशो के सम्बन्ध खराब होने के प्रमुख कारणों पर बारीकी से बात करेंगे आप यह तो जानते ही होंगे कि भारत-कनाडा के रिश्ते कभी खुशी कभी गम वाले चल रहे है मेरे कहने का तात्पर्य है कभी अच्छे कभी खराब वाले रहे है और हाल के दिनों में दिनों -दिन खराब होते जा रहे है। आपको मालूम होगा कि पिछले ही हफ्ते कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने भारत मे चल रहे किसान आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी इसी प्रतिक्रिया के बाद इन देशों के संबंध दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे है सबसे पहले हम जानगे कि इस विवाद की शुरूआत सबसे पहले कैसे हुई।
1 दिसम्बर को जब कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन पर कहा कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन अगर इसी तरीके से शांतिपूर्ण रहा तो हम इस आंदोलन का समर्थन करते है और यह बयान कनाडा की ओर से गुरू नानक पर्व पर आया है।
2 दिसम्बर के दिन भारत के विदेश मंत्रालय प्रक्तता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा “ हमने देखा कि भारत के किसानों से संबंधित कनैडियन नेताओं के बयान बहुत ही निम्न स्तर के है ऐसे बयान किसी लोकतांत्रिक देश के बारे में करना अनुचित है।”
भारत के विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद भी स्थिति सामान्य बनी रहती है और 5 दिसम्बर को इंडिया की ओर से कनाडा के दूत को तलब किया जाता है और उनसे पूछा जाता है कि कनाडा के प्रधानमंत्री का असल भारत को लेकर क्या मकसद है? इसके बाद भारत की ओर से एक ओर बयान आता है और कहा जाता है कि कनाडा मे रहने वाले भारतीय दूत व सहायक अधिकारियो की सुरक्षा को मजबूत किया जाये और कनाडा की ओर से कोई ऐसा बयान न आये जिससे अतिवादी संगठन सक्रिय हो जाए।
भारत के इस बयान के बाद एक और प्रेस कांफ्रेस होता है कनाडा मे जिसमे कैनेडियन प्रधानमंत्री द्वारा भारत की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए एक बार फिर से भारत मे चल रहे किसान आंदोलन को फिर से समर्थन दिया जाता है और कहा जाता है कि हम भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे चल रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन करते है।
इसी बीच यूनाइटेड किंगडम के सिख संगठन ने भी Twitter के माध्यम से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो के उस बयान का समर्थन कर दिया जिसमे उन्होंने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन किया।
इसके बाद फिर से भारत के विदेश मंत्रालय का एक ओर बयान सामने आता है जिसमे भारत की ओर से कहा जाता है कि कनाडा मे रहने वाले भारत के दूत व सहायक कर्मचारीयों की सुरक्षा खतरे में है और कुछ खालिस्तानी समर्थक व पाकिस्तानी गुट के अतिवादी लोगो द्वारा भारत के इन अधिकारियों पर हमला किया जा सकता है इसके लिए सरकार इन भारतीयों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराए।
भारत के इस बयान के पीछे कनाडा में चल रहे किसानों के समर्थन में रैली व प्रदर्शन है।
इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय का एक ओर बयान समाने आता है जिसमे कहा जाता है कि कोरोना महामारी को लेकर जो मीटिग कनाडा के साथ होने वाली है उसमे भारत हिस्सा नहीं ले रहा है। इन सभी तथ्यों को ध्यान मे रखते हुए एक बात तो साफ है कि भारत और कनाडा के बीच अभी संबंध तो नाजुक दौर से गुजर रहे है।
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