Manipur(मणिपुर) क्यों जल रहा है ? असली कारण जानिए

मणिपुर की ताजा घटना का किसी भी सभ्य समाज में स्थान नही हो सकता है इस प्रकार की हरकतों को देखकर हर किसी का दिल दहल सकता है, दरअसल वहां कुकी समाज के लोगों द्वारा मैतेई समाज की दो युवतियों के कपड़े उतारे गए और उनकों भरी सड़क पर दौड़या गया।
इस घटना का वीडियों व फोटो जब से सोशल मीडिया पर आए है तब से हर कोई व्यक्ति इस घटना की कड़े शब्दो में आलोचना कर रहा है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है।
वहीं इस घटना के बाद से मणिपुर में और ज्यादा हालात तनावपूर्ण हो गए है, मणिपुर में पिछले तीन महीने से हिंसा हो रही है, इस हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवां दी।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री का बयान सामने आया है उन्होंने कहा है कि उनका हदय इस घटना पर क्रोध से भरा हुआ है। विपक्ष कई दिनों से प्रधानमंत्री को इस मसले पर बातचीत के लिए कह रहा है।
वहीं घटना के बाद सुप्रीम के सीजेआई D.Y.चंद्रचूड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए सरकार से कहा है कि इस घटना पर त्वरित कार्यवाही की जाए और अगर सरकार ऐसा नही करती है तो इस मामलें में सुप्रीम कोर्ट उतरेगा।

असल विवाद:

पहला कारण :

विवाद को जानने से पहले मणिपुर के भौगोलिक स्थिति को समझना जरूरी है, इस प्रांत में 16 जिले है, सूबे की राजधानी इंफाल है यह प्रांत मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है, घाटी व पहाड़ी क्षेत्र के रूप में।
इस राज्य की आबादी में सर्वाधिक योगदान मैतेई समुदाय का है प्रदेश की कुल आबादी में मैतेई समुदाय की जनसंख्या 54 फीसदी है।
मैतेई समुदाय के अलावा मणिपुर में 34 मान्यता प्राप्त जनजातियां है जिसमें नगा और कुकी प्रमुख अनुसूचित जनजातियां है।
मणिपुर प्रांत में पहाड़ी क्षेत्र अधिक है यहां का प्रमुख समुदाय मैतेई 10% भू-भाग पर निवास करता है जिनकी आबादी 54% है। वहीं कुकी व नगा जैसी अल्पसंख्यक अनुसूचित जनजातियों का प्रदेश के 90% हिस्से पर कब्जा है।
मैतेई समुदाय हिंदू धर्म की पालना करता है वहीं कुकी व नगा समुदाय के ज्यादातर सदस्य ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।
मणिपुर का हालिया विवाद मैतेई समुदाय कुकी समुदाय के बीच चल रहा है। दरअसल मैतेई समुदाय के लोग अपने को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर थे जब यह मामला मणिपुर उच्च न्यायालय में पहुंचा तो कोर्ट ने राज्य की सरकार को जनजातियें मंत्रालय की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया जिसमें सिफारिश की गई थी कि मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिया जाए।
जब मैतेई समुदाय को उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया जिसमें दलील दी गई थी कि मैतेई समुदाय को OBCST का दर्जा पहले से प्राप्त है।
अगर सरकार उनको ST में शामिल करती है तो यह समुदाय अल्पसंख्यक वर्ग कुकी व नगा समुदाय का कोटा कम हो जाएगा।
वहीं मैतेई समुदाय का मानना है कि 1949 से पहले तक मैतेई समुदाय को ट्राइब्स का दर्जा प्राप्त था और विलय के बाद से जैसे उनकी पहचान ही खो गई है।
वहीं मैतेई समुदाय ने यह भी दलील दी है कि 1951 में जहां आबादी में उनका योगदान 59% था वहीं 2011 की जनगणना में यह आंकड़ा घटकर 44% रह गया है।
मैतेई समुदाय का कहना है कि जहां वो 10% हिस्से(इंफाल घाटी) पर रह रहे है उनमें भी बाहरी राज्यों के लोग व म्यांमार, बांग्लादेश के लोग आकर बस गए है, सरकार उनको पहाड़ी क्षेत्र में बसने की छूट दे।

दूसरा कारण :

मणिपुर हिंसा होने का दूसरा कारण यह भी है कि वहां का कुकी समाज सरकार की नीतियों से असंतुष्ट है उनका मानना है कि मणिपुर के सीएम N. Biren Singh उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रहे है उनके पहाड़ी इलाकों के बहुत से ठिकानों को अवैध बताकर बेदखली अभियान चला रहे है।
सरकार के इस अभियान के खिलाफ आदिवासियों ने एकजुटता दिखाने के लिए एक रैली की योजना बनाई इस रैली का आयोजन मणिपुर के स्थानीय छात्र संगठन ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन, मणिपुर(ATSUM) द्वारा किया गया था।
यह रैली प्रांत के 10 आदिवासी जिलों में आयोजित की गई थी इस रैली का उद्देश्य सरकार द्वारा मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने के विरोध में थी। लेकिन चुहाचाँद के एक जिले में रैली पर हथियारबंद लोगों द्वारा हमला कर दिया जिसके बाद से राज्य में हिंसा का ऐसा ताडंव मचा की 3 महीने बीत जाने के बाद भी हालात काबू मे नही आ रहे है।

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