Uber Success Story in Hindi | उबर सफलता की कहानी

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम टेक्नोलाॅजी कंपनी उबर की सफलता की कहानी जानेंगे।

कब बनी2009
मार्केट कैप37.86 लाख करोड़ रूपए

दुनिया में सार्वजनिक परिवहन का नक्शा बदलने वाली कंपनी उबर, नए विवादों में है। 1.12 लाख से ज्यादा दस्तावेज लीक होने के बाद उबर की कार्यप्रणाली पर सवाल हो रहे हैं। उबर फाइल्स को लीक करने के पीछे कंपनी के पूर्व लाॅबिस्ट माइक मैकगैन हैं। आरोप हैं कि उबर ने दुनियाभर के बाजारों में एंट्री पाने के लिए कानून तोड़े। अनैतिक साधनों का इस्तेमाल किया। विभिन्न देशो में सरकारों से अनुचित फायदा उठाने के लिए पैरवी करवाई। अनुचित तरीकों से ही कंपनी टैक्सी बिजनेस में 12.75 वैष्विकी हिस्सेदारी के साथ इस क्षेत्र में दुनिया की नंबर 1 कंपनी बनी। इसी साल फरवरी में ‘सुपर पंप्ड: द बैटल फाॅर उबर’ नाम से टीवी शो भी रिलीज हुआ था। हालांकि विवादों का कंपनी की बैलेंस शीट पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है। इस साल के शुरूआती महीनों में कपंनी ने 136 फीसदी ग्रोथ दर्ज की। उबर सिर्फ कैब नहीं टेक्नोलाॅजी कंपनी हे और टैक्सी-कैब सर्विस (उबर राइड) के अलावा फूड डिलीवरी और उबर फ्राइड सेगमेंट में भी काम कर रही है। उबर फाॅच्र्यून-500 में दुनिया में 210वें नंबर पर है।

ट्रेविस कालानिक (कोफाउंडर-उबर) निजी संपत्ति: 19 हजार करोड़ रूपए

दिसंबर 2008 में पेरिस में एक सर्दीली रात में ट्रेविस कालानिक और गैरेंट कैम्प को टैक्सी नहीं मिल रही थी। उसी समय उन्हें उबर का आइडिया आ गया। आइडिया के पीछे ‘कसीनो राॅयल’ फिल्म भी थी। जिसमें जेम्स बाॅन्ड अपने मोबाइल से कार की लोकेशन देखते हैं। कालानिक नौ साल तक कंपनी के साथ रहे। विवादों के बीच जून 2017 में सीईओ पद से हटाए जाने के बाद कालानिक को अपने शेयर कंपनी में 10 प्रतिशत से कम करने पड़े। 31 दिसंबर 2019 को कालानिक उबर के बोर्ड से भी हट गए। इस बीच नवंबर-दिसंबर में उन्होंने अपने हिस्से के पूरे शेयर बेचे। इनकी उस समय कीमत 19 हजार करोड़ रूपए थी। 2017 से उबर की कमान दारा खोसरोशाही के हाथ में है। वहीं प्रभजीत सिंह उबर के इंडिया हैड हैं।

क्या आप भी Uber राइड का इस्तेमाल करते है ?

2007 से 2013:

सिलिकाॅन वैली को दुनिया की स्टार्टअप कैपिटल कहा जाता है और यहीं 2007 में उबर की शुरूआत हुई थी। पहले वित्त वर्ष में ही एक बिलियन डाॅलर का रेवेन्यू आया। उबर के विस्तार की तेजी देखते हुए लोग इसकी तुलना गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियों से करने लगे थे। उबर ‘गिर बिजनेस इकोनाॅमी’ के क्षेत्र को बढ़ावा देने वालों में से एक है। गिग वर्कर्स यानी आंशिक स्किल्स के साथ छोटे-मोटे काम करने वाले लोग। इसके जरिए उबर ने पार्ट टाइमर्स, फ्रीलांसर्स को जोड़ा। कंपनी ने इसे फायदे के तौर पर लिया, फुलटाइम कर्मचारी नहीं होने, कर्मचारियों से जुड़े फायदे देने से बच गए। साथ ही फंडिंग के पैसे से राइड का किराया सब्सिडाइज्ड किया। उबर ने किसी भी देश में कार या कैब नहीं खरीदी, स्थानीय ड्राइवर्स से टाइ-अप करके बिजनेस बढ़ाया। 2013 में भारत समेत चीन, इटली, जर्मनी जैसे कुल 40 देशो में उबर ने बिजनेस जमा लिया था।

2014 से 2023:

  • 2014 में ‘गाॅड व्यू’ टूल की जांच शुरू हुई। इससे किसी भी ग्राहक की मूवमेंट पर नजर रख सकते थे। उसी साल दिल्ली में उबर ड्राइवर ने एक महिला का रेप किया, दिल्ली में उबर ड्राइवर ने एक महिला का रेप किया, दिल्ली में उबर बैन हुई।
  • 2015 में किल स्विच विवाद गहराया। कंपनी पर रेड की स्थिति में इंटरनल सर्वर बंद कर दिया जाता था। फ्रांस में भी विरोध शुरू हुआ।
  • 2016 में चीन में प्रतिद्वंद्वी कंपनी ‘दीदी’ को उबर के संसाधन बेचे। सैन-फ्रांसिस्कों में सेल्फ ड्राइविंग शुरू की, पर अनुमति का विवाद हुआ।
  • 2017 में सैक्सुअल हैरासमेंट और लैंगिक भेदभाव की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करने के कारण तत्कालीन सीईओ ट्रेविस कालानिक विवादों में घिरे। आखिरकार कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा।
  • 2018 में गूगल द्वारा ट्रेंड सीक्रेट को लेकर लेकर लगाए आरोप में 245 मिलियन डाॅलर से सेटलमेंट करना पड़ा। रूस में कामकाज समेटा।
  • 2022 उबर फाइल्स का खुलासा हुआ। उबर अभी आधा दर्जन से ज्यादा देशो में बैन है।
  • 136 प्रतिशत रेवेन्यू ग्रोथ इस साल शुरूआती तीन महीने में 2021 के मुकाबले 63 प्रतिशत ग्रोथ रही वित्तिय वर्ष 2021 में। रेवेन्यू 17.455 मिलियन डाॅलर रहा।
  • 72 देशो में 10,500 शहरों में कारोबार है, 29,300 कर्मचारी काम करते है।

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