Mukhtar Ansari Biography | मुख्तार अंसारी जीवन-परिचय

यूपी में अतीक के खात्मे के बाद अगला नंबर बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का बताया जा रहा है मुख्तार अंसारी लंबे से जेल में बंद है उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी व शराब तस्करी जैसे गंभीर केस लगे हुए है।
साथियों आज के इस पोस्ट में हम उत्तरप्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का जीवन-परिचय जानेंगे।
उत्तरप्रदेश की राजनीति में बाहुबली नेताओं की गिनती हो और मुख्तार अंसारी का नाम न आए ऐसा हो ही नही सकता है, इन दिनों मुख्तार अंसारी सुर्खियों में बने हुए है। कारण बताया जा रहा है कि अतीक ब्रदर्स को मिट्टी में मिलाने के बाद अब अगला नंबर बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का बताया जा रहा है, जिसकी सुगबुगाहट बाजार में चलने लगी है।

नाम मुख्तार अंसारी
जन्म 30 जून 1963 (गाजीपुर, UP)
पिता सुबानुल्लाह अंसारी
माताबेगम राबिया
पत्नीअफशा अंसारी
संतान अब्बास अंसारी
उमर अंसारी

मुख्तार परिवार का इतिहास:

मुख्तार अंसारी के दादा डाॅक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन दौरान 1926-27 इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे, खबरे तो यह भी आती रही है कि वह महात्मा गांधी के करीबियों में से एक थे, डाॅक्टर मुख्तार अहमद अंसारी के नाम पर दिल्ली में एक रोड़ भी है।
मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी थे, और उन्होंने 1947 में भारतीय सेना की ओर से नवसेरा की लड़ाई में हिस्सा लिया और देश को जीत दिलाने के लिए शहीद भी हुए और उन्हें भारत सरकार द्वारा महावीर चक्र से सम्मानित भी किया गया था।
भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार अंसारी के चाचा है और मुख्तार के बेटे का नाम अब्बास अंसारी है जो कि अभी मऊ विधानसभा के विधायक भी है।

मुख्तार की क्राइम हिस्ट्री:

मुख्तार अंसारी पर चल रहे आपराधिक मुकदमों की कहानी बहुत लंबी है इन आपराधिक घटनाओं से कई सारे किस्से जुड़े हुए है मुख्तार का मुख्य रूप से मऊ, वाराणसी, गाजीपुर और जौनपुर में दबदबा माना जाता है इन जिलों में ठेकेदारी, खनन स्क्रेप, शराब कारोबार व रेल्वे में दबदबा माना जाता हैं।
साल 1988 में पहली बार हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी का नाम आया था लेकिन पुलिस बाहुबली के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नही जुटा पाई थी।
साल 2005 के अक्टूबर में मऊ में दंगा हुआ था मुख्तार पर इस दंगे को भड़काने का आरोप लगा था इसी मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था, मुख्तार को गाजीपुर जेल में रखा गया था, इसके बाद मथुरा जेल भेज दिया गया, मथुरा से आगरा जेल और फिर आगरा से बांदा जेल भेजा गया।

हालिया रिपोर्ट के मुताबिक बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी पर 40 से अधिक मुकदमे दर्ज है और पिछले 16 सालों से जेल में बंद है, मुख्तार यूपी की मऊ विधानसभी सीट से लगातार पांच बार विधायक भी रह चुके है।

दुश्मनी:

मुख्तार और बृजेश सिंह की दुश्मनी भी काफी चर्चा में रही है, पूर्वांचल के जिन हिस्सों में मुख्तार अंसारी का दबदबा था वहां बृजेश सिंह की भी दंबगई चला करती थी, मुख्तार और बृजेश के बीच कई छोटी-बड़ी गैंगवार भी हुई और एक ऐसी ही गैंगवार में बृजेश सिंह के मारे जाने की खबर आई लेकिन कुछ सालों बाद बृजेश सिंह को जिन्दा पाया गया और साल 2008 में ओडिशा से गिरफ्तार किया गया, अभी बृजेश सिंह वाराणसी की जेल में बंद है।

राजनैतिक जीवन:

मुख्तार ने साल 1995 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा और साल 1996 में मऊ विधानसभा क्षेत्र की विधायकी अपने नाम की। मुख्तार अंसारी ने साल 2007 में बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया और बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्तार को राॅबिनहुड के रूप में पेश किया था।
साल 2009 में मुख्तार ने बसपा के टिकट से वाराणसी संसदीय सीट से ताल ठोकी मगर वो बीजेपी के नेता मुरली मनोहर जोशी से नही जीत पाए।
साल 2010 में अंसारी ब्रदर्स मुख्तार अंसारी व अफजल अंसारी को बसपा से निष्काषित कर दिया गया, इसके बाद तीनों अंसारी भाईयों मुख्तार-अफजल-शिबकतुला ने साल 2010 में कोमी एकता दल के नाम से राजनैतिक पार्टी का गठन किया।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार ने घोसी के साथ-साथ वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ा होने की घोषणा की लेकिन चुनाव से ठीक पहले मुख्तार ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।

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