नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम पिज्जा कंपनी डोमिनोज की सफलता की कहानी जानेंगे।
पिज्जा का इतिहास भले ही हजार साल पुराना हो पर भारत में इस फास्ट फूड की आमद 125 साल पहले हुई थी। इटैलियन मिशनरी इसे यहां लेकर आए थे। हालांकि लोकप्रियता 1970 के दशक में जाकर मिली। इसी काल में अमेरिका में डोमिनोज अपना बिजनेस विस्तार कर रहा था। 90 के दशक में भारत में उदारीकरण शुरू हुआ, तो डोमिनोज का यहां अवसर नजर आया। आज दुनिया की सबसे बड़ी पिज्जा कंपनी डोमिनोज के लिए अमेरिका के बाद भारत सबसे बड़ा बाजार है। देश में पिज्जा के 2 अरब डाॅलर के मार्केट में डोमिनोज लीडर है। लेकिन डोमिनोज का फास्ट फूड बिजनेस में हमेषशा से एकाधिकार नहीं रहा। 2008 में ऐसा दौर आया, जब कंपनी को पिज्जा के खराब स्वाद पर माफी तक मांगनी पड़ी थी। लेकिन उसके बाद से कंपनी ने ऊची उड़ान भरी। आखिर कैसे डोमिनोज बनी नंबर-वन पिज्जा चेन ब्रांड आइये इस पोस्ट में जानने का प्रयास करते है।
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इतिहास:
Domino’s की आधिकारिक रूप से शुरूआत साल 1960 में हुइे थी इस पिज्जा चेन का इतिहास पुराना है। दरअसल मिशीगन में डोमिनिक डेवार्ती ‘डोमिनिक’ नाम से पिज्जा चेन चलाते थें टाॅम मोनेगन और उनके भाई जेम्स ने 500 डाॅलर का डाउन पेमेंट देकर डोमिनिक का यह स्टोर और बिजनेस खरीद लिया। इसके बाद साल 1965 में नाम बदलकर डोमिनोज पिज्जा आईएनसी रख दिया। इसी साल डोमिनोज ने तीन डाॅट के साथ अपना लोगो डिजाइन किया। ये तीन बिंदु कंपनी के शुरूआती तीन स्टोर का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्ष 1983 में डोमिनोज ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय स्टोर कनाडा में खोला। वहीं साल 2012 में नाम बदलकर डोमिनोज हो गया।
बिजनेस माॅडल:
डोमिनोज के सीईओ रसेल जे. वीनर एक इंटरव्यू में कहते हैं कि हम सिर्फ पिज्जा बनाने के बिजनेस में नहीं हैं, बल्कि पिज्जा डिलीवरी के बिजनेस में हैं। कंपनी ने डिलीवरी और टेक्नोलाॅजी पर हमेशा से फोकस किया। इसी वजह से कंपनी खुद को ई-काॅमर्स कंपनी कहती है। डोमिनोज ने अलग-अलग रीजन के हिसाब से अपने प्रोडक्ट में बदलाव किया। डोमिनोज ने 2013 में इजरायल में अपना पहला वीगन पिज्जा मार्केट में पेश किया था। इसमें डेयरी चीज के बजाय सोया चीज और वेजीस पेश की थी। पिज्जा डिलीवरी को सगुम और तेज बनाने के लिए कंपनी ने डोमिनोज डीएक्सपी नाम की कार खुद डिजाइन की थी।
सफलता:
डोमिनोज के इतिहास में साल 2008-09 का दौर सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। साख बहुत गिर चुकी थी। लोग सार्वजनिक रूप से डोमिनोज के पिज्जा को बेहद खराब कहने लगे थे। इसके क्रस्ट (पिज्जा बेस) के स्वाद को कार्डबोर्ड जैसा तो साॅस को कैचअप की तरह बताने लगे थें कंपनी के शेयर्स भी 3 डाॅलर के न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुके थे। इसके बाद कंपनी ने विज्ञापनों के जरिए अपनी गलती मानी और पिज्जा के स्वाद में पूरी तरह बदलाव करने का निष्चय किया। बदले हुए स्वाद के साथ अधिकारी फीडबैक लेने के लिए लोगों के पास गए। नए स्वाद को लोगों ने सराहा। इसके बाद से डोमिनोज की ब्रांड वैल्यू बढ़ती चली गई। 2008 के बाद से कंपनी का स्टाॅक अब तक 5000 फीसदी से ज्यादा महंगा हो चुका है।
डोमिनोज का बाजार:
कब बनी | 1960 |
बाजार | 94 हजार करोड़ रूपए |
- 15 लाख पिज्जा रोज बिकते हैं डोमिनोज के।
- 99 प्रतिशत स्टोर डोमिनोज के फ्रेंचाइजी माॅडल पर हैं।
- 1 प्रतिशत स्टोर्स पर ही डोमिनोज का मालिकाना हक हैं।
- 1967 में पहला फ्रेंचाइज स्टोर खोला था।
- 5.02 अरब डाॅलर का कर्ज है कंपनी पर।
- 19800 फ्रेंचाइज स्टोर हैं दुनियाभर में।
- 90 देशो में बिक्री होती है डोमिनोज पिज्जा की।
- 1701 स्टोर्स भारत के 371 शहरों में है डाॅमिनोज के।