Hindi Diwas 2023: इतिहास, महत्व व ख़ास बात

आज का दिन भारत व प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत खास दिन है, आज 14 सितंबर के दिन को भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन हिंदी के महान साहित्यकार राजेंद्र सिंह का जन्मदिवस भी है, इसके अलावा गोविंद दास, हजारीप्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर और मैथिलीशरण गुप्त ने हिंदी को विशेष भाषा का दर्जा दिलाने में महत्पवपूर्ण भूमिका निभाई थी। वैसे देखे तो हमारे देश में अनेक क्षेत्रीय भाषाऐं बोली जाती है, लेकिन हिंदी का स्थान हमारे लिए कुछ अलग ही है, हिंदी को हम मातृ भाषा के साथ अपनी भाषा के तौर पर भी देखते समझते है।
हिंदी भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है, 14 सितंबर 1949 से इस दिन हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया गया था, और तब से आज तक 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह फैसला पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने लिया था।
साल 1918 में महात्मा गांधी हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को मातृ भाषा बनाने की वकालत की थी, और इस भाषा को जनमानस की भाषा बताया था।

इतिहास :

अगर हिंदी दिवस की बात करें तो आजादी के बाद साल 1949 से हिंदी को 14 सितंबर के दिन राष्ट्रभाषा के रूप में मनाया जाता है।
आज दुनिया भर में 120 मिलियन से अधिक लोग हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में काम में लेते है वहीं 420 मिलियन से अधिक लोग इसे अपनी प्राथमिक भाषा के तौर पर काम में लेते है।

विश्व हिंदी दिवस:

जिस प्रकार 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, उसी की तर्ज पर 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है, प्रथम विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

Oxford Dictionary :

आपकों जानकारी होगी की हिंदी के ऐसे कई शब्द है जिनको अंग्रेजी की Oxford Dictionary में भी शामिल किया गया है और इन्हें मान्यता प्रदान की गई है, जिनमें संविधान, आत्मनिर्भर, दादागीरी, व जुगाड़ समेत अनेक ऐसे शब्द है जिन्हें Oxford Dictionary में शामिल किया गया है।

महत्व :

साथियों देश भर में हिंदी दिवस को हिंदी भाषा के सम्मान के तौर पर मनाया जाता है, इस दिन को मनाने के पीछे बड़ी वजह इस भाषा के प्रति सम्मान और इसकों बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है, आज भी हमारे देश में हिंदी को वो स्थान प्राप्त नहीं है जो होना चाहिए, कई लोग आज भी हिंदी बोलते समय अपने आपकों असहज महसूस करते है, और हिंदी को मजबूरी के तौर पर बोलते है।
पिछले कुछ समय से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिला है, और उम्मीद करते है आने वाले समय में हिंदी देश की प्रमुख भाषा के तौर पर उभरकर सामने आएगी, और देश ही नही बल्कि दुनिया भर के हिंदी भाषी इस पर गर्व महसूस करेंगे।

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