Ashok Leyland Success Story | सफलता की कहानी 1948-2022

दोस्तो Ashok Leyland एक ऐसी कंपनी है जिनके द्वारे बनाए गए व्हिकल से हम सभी ने सफर किया होगा क्योंकि आज भारतीय सड़कों पर चलने वाली हर पांच मे से चार बसे Ashok Leyland की ही होती है यहां तक की हमारी भारतीय सेना में भी Ashok Leyland के ट्रकों का इस्तेमाल किया जाता है और यही वजह है कि Ashok Leyland को भारतीय की सबसे बड़ी व्हिकल निर्माता कंपनी माना जाता है।

आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की आखिर कैसे Ashok Leyland दुनिया में Commercial वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी बनी आज के इस पोस्ट में हम Ashok Leyland के पूरे सफर को जानेंगे और जानेंगे की कैसे इस कंपनी ने भारत के विकास में अपना अमूल्य योगदान प्रदान किया है।

साथियों Ashok Leyland भले ही दुनिया की सबसे बड़ी बस निर्माता और ट्रक निर्माता कंपनीयों में से एक मानी जाती है लेकिन इसकी शुरूआत भी भारत की दूसरी बड़ी कंपनियों की तरह ही एक बेहद छोटे स्तर पर हुई थी।

स्थापना:

दरअसल Ashok Leyland की स्थापना सन् 1948 में पंजाब के रहने वाले रघुनंदन सरण नाम के एक स्वंतत्रता सेनानी के द्वारा की गई थी और उस समय उन्होंने अपने इकलौते बेटे Ashok के नाम पर अपनी इस कंपनी का नाम भी Ashok मोटर्स रखा था।

अब रघुनंदन सरण जी की अगर बात करे तो अपनी इस कंपनी की स्थापना करने से पहले यानि की देश के आजाद होने से पहले वह रावलपिंडी शहर में अपने पिता की गाड़ियों की वर्क शॉप चलाया करते थे।

उनके पिता उस समय के एक जाने-माने एक रईस आदमी थे जिनकी शोहरत के चलते रघुनंदन जी को भी लोग मान-सम्मान दिया करते थे लेकिन साथियों रघुनंदन जी को यह चीज बिल्कुल भी पसंद नही थी क्योंकि वह खुद अपने दम पर कुछ अलग करके अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते थे और इसी इरादे से ही उन्होंने Ashok मोटर्स के रूप में अपने खुद की ऑटोमोटिव कंपनी शुरू की थी जो की शुरूआत में इंग्लैंड से गाड़ियों के पार्टस इंपोर्ट करके भारत मे ऑस्टिन कंपनी की कार बनाने का काम करती थी।

इस कंपनी का पहला मुख्यालय व निर्माण उद्योग चेन्नई मे बनाया गया था जहां पर सर्वप्रथम इस मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट के अंदर ऑस्टिन कंपनी की A-40 कार का स्वदेशी तकनीक से निर्माण किया गया था अब यू तो उस समय इस कंपनी का यह कार मैन्यूफैक्चरिंग का व्यवसाय ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन रघुनदंन जी को यह बात समझने में ज्यादा समय नही लगा की उस समय के नए आजाद हुए भारत के विकास के लिए पैसेंजर कार से कही ज्यादा जरूरत commercial व्हिकल की थी चूंकि वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे जो खुद से पहले देश के बारे में सोचते थे इसीलिए उन्होंने देश की तरक्की में अपना योगदान देने के लिए ब्रिटिश कंपनी Leyland मोटर्स के साथ पार्टनरशिप के लिए बातचीत करनी शुरू कर दी ताकि इस कंपनी के साथ मिलकर भारत में भी commercial व्हिकल का निर्माण किया जा सके और रघुनंदन जी की मदद के लिए मद्रास सरकार ने उस समय लोगों के साथ मिलकर पैसा भी जुटाया था लेकिन इससे पहले Ashok मोटर्स व Leyland कंपनी के बीच कोई समझौता हो पाता दुर्भाग्य से सन् 1953 में एक एयर क्रैश दुर्घटना के चलते रघुनंदन जी का देंहात हो गया और उनके देहांत के बाद से कंपनी की बागडोर मद्रास राज्य सरकार व कंपनी के कुछ दूसरे Share Holders के हाथों मे गई अब चूंकि रघुनंदन जी मरने से पहले ही Leyland मोटर्स के साथ पार्टनरशिप की बातचीत शुरू कर चुके थे इसीलिए उनकी मौत हो जाने के बाद से राज्य सरकार व दूसरे Share Holders  के द्वारा इस डील को पूरा किया गया जिसके बाद सन् 1954 में इंग्लैंड की Leyland मोटर्स व भारत की Ashok मोटर्स के साथ जुड़ गई और इस तरह से कंपनी का नाम Ashok मोटर्स से बदलकर Ashok Leyland रख दिया गया था और साथियों इसके बाद से कंपनी ने पूरा ध्यान पैसेंजर्स व्हिकल की मैन्यूफक्चरिंग से हटाकर commercial व्हिकल बनाने पर लगा दिया जिसके चलते Ashok Leyland के एन्नौर प्लांट के अंदर कंपनी ने पहली बार Comet 350 ट्रक का निर्माण किया जिसे की मंगलौर की एक टायर फैक्ट्री को बेचा गया था।

साथियों Leyland कंपनी के साथ जुड़ने का कंपनी को बहुत बड़ा फायदा यह हुआ की उनकी आधुनिक तकनीक की मदद से Ashok Leyland एक से बढ़कर एक एडवांस तकनीक वाली बसें और ट्रक भारतीय बाजार में सबसे पहले लाने लगा उस समय इंटरनेशल मार्कट में जब भी कोई नई टैक्नोलाॅजी आती थी तो उस समय उस तकनीक को भारत में सबसे पहले लाने वाली कंपनी एकमात्र Ashok Leyland ही हुआ करती थी।

यहां तक की भारत में डबल डैकर बस का Concept ही Ashok Leyland ही लेकर आई थी जिसके चलते सन् 1967 में पहली बार भारत की सड़कों पर डबल डैकर बसें दौड़ी थी जबकि उस समय सिर्फ अमेरीका और यूरोप के कुछ देशो में ही इस बस का Concept आया था और साथियों इसमें भी सबसे अहम चीज यह थी की Ashok Leyland ने उन बसों को स्वदेशी तकनीक से निर्माण किया गया था इसके अलावा भारत के अंदर के ट्रकों और बसों का अंदर पावर स्टेरिंग का इस्तेमाल भी सबसे पहले Ashok Leyland के द्वारा ही किया गया था दरअसल इस कंपनी ने सन् 1969 में ही अपने सभी commercial वाहनों में पावर स्टेरिंग लगाना शुरू कर दिया था जो कि उस समय एक बेहद ही एडवांस तकनीक हुआ करती थी।

इस तरह से धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए Ashok Leyland ने मजबूत बसों व commercial वाहनों को बनाने में अपनी एक अलग पहचान बना ली और इसी चलते इस कंपनी पर लोगों का भरोसा भी बढ़ता गया और साथियों आपकों जानकर हैरानी होगी की हमारी सेना के लिए वाहन बनाने वाली सबसे प्रमुख कंपनी Ashok Leyland ही है असल में सन् 1970 दशक के दौरान इस कंपनी को सेना के लिए 10000 हजार आधुनिक ट्रक बनाने का काम दिया गया था जिसके बाद Ashok Leyland ने भारतीय सेना के लिए बेहद मजबूत ट्रकों को बनाकर दिया जो की किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते थे और साथियों तब से लेकर अब तक यही कंपनी भारतीय सेना के लिए ट्रक बना रही है और फिर साथियों इसी तरह से समय के साथ-साथ यह कंपनी धीरे-धीरे सफलता की तरफ बढ़ती चली गई।

सन् 1980 में कंपनी तमिलनाडू के हुसुर शहर में अपना एक नया प्लांट बनाया जहां पर और भी ज्यादा बड़े और भारी commercial वाहनों का निर्माण शुरू किया था इस प्लांट में मुख्य रूप से मल्टी टाइप के बसें व ट्रक बनाई गई जो कि कंपनी के दूसरे प्रोडक्ट की तरह बेहद सफल रहे और इस तरह से बसों व ट्रकों जैसे भारी commercial वाहनों के निर्माण में सफलता हासिल करने के बाद से यह कंपनी Construction व लाईट commercial वाहनों के निर्माण के क्षेत्र में भी उतरी और इसके लिए कंपनी ने साल 2011 में अमेरिका की कंपनी जाॅन डियर के साथ हाथ मिलाया और देश के निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होने वाले बड़े व छोटे वाहनों का निर्माण भी शुरू कर दिया और साथियों इस क्षेत्र में भी यह कंपनी इतनी ज्यादा सफल रही की आज देश के अंदर Ashok Leyland Construction वाहन सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते है।

सफलता :

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Ashok Leyland की सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है Ashok Leyland आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बस निर्माता कंपनी और दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी ट्रक निर्माता कंपनी बन गई है!

इस कंपनी के भारत समेत दुनिया भर में 9 मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट मौजूद है Ashok Leyland आज सिर्फ पेट्रोल-डीजल या सीएनजी ही नही बल्कि इलेक्ट्रीक बसों की भी सबसे प्रमुख निर्माता कंपनियों मे से एक मानी जाती है और भारत के अंदर सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें यही कंपनी बनाती है।

अब आपकी जानकारी के लिए हम बता दे की इस कंपनी की इस समय Ownership भारत के हिंदुजा ग्रुप के पास मे है जिन्होंने साल 2007 में Ashok Leyland कंपनी के मैजोरिटी शेयर खरीदकर इस कंपनी का स्वामित्व हासिल कर लिया था और जब से यह कंपनी हिंदुजा ग्रुप के हाथों मे गई है तब से इसके आगे बढ़ने व तरक्की करने की रफ्तार और भी तेज हो गई है और यह कंपनी इसी तरह से तरक्की करती रही तो वो दिन दूर नही जब Ashok Leyland सिर्फ भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया की सबसे ट्रक व बस निर्माता कंपनी बन जाएगी।

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                                      वंदे मातरम्

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