देश की साक्षर आबादी के लिए टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (TCS) जाना-पहचाना नाम है। बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैप के हिसाब से यह देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। पहले नंबर पर रिलायंस है। फार्च्यून-500 की सूची में भी यह दुनिया में 30वे नंबर पर है। वही यह आईटी सर्विस सेक्टर में दुनिया का दूसरा सबसे मूल्यवान ब्रांड है। हालांकि 2013 और 2016 में कंपनी पर अमेरिका में डेटा चोरी के आरोप में जुर्माना भी लग चुका है। बहरहाल टीसीएस चर्चा में है क्योंकि स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रही वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की सालाना मीटिंग में टीसीएस स्ट्रैटेजिक पार्टनर है। इस हफ्ते की ब्रांड स्टोरी में हम टीसीएस को जानते हैं।
शुरुआतः
टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा के करीबी और ब्रदर इन लेसलाई साहनी ने आईटी सुविधाओं के लिए अलग कंपनी बनाने का सुझाव दिया। उस समय कंपनियों के डाटा संबंधी जरूरतें पूरी करने वाला कोई नहीं था। पहले टीम 1962 में बनी और सुपर विजन का काम यश सहानी को दिया गया। उस समय टीम का कोई नाम नहीं था और यह टाटा संस की डाटा प्रोसेसिंग यूनिट के नाम से जानी जाती थी। इसमें शुरुआती निवेश 5000000 का था। फिर एमआईटी से कुछ लोगों को हायर किया गया। (बाद में टाटा का हिस्सा बनी), जिसके लिए पंच कार्ड बनाए। शुरुआती क्लाइंट्स में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस था, जो कुछ बड़ी स्टडी करना चाह रहा था। 1966 में इसका नाम टाटा सर्विसेस हुआ, आधिकारिक शुरुआत 1968 में हुई।
बिजनेस मॉडल:
TCS के सीईओ रहे रामादोराई अपनी किताब ‘द टीसीएस स्टोरी’मे बताते हैं, साठ के दशक में भारत में आईटी का कोई बाजार नहीं था। ऐसे में कंपनी ने शुरुआती दौर से ही विदेशों में, खास तौर पर अमेरिका पर फोकस किया।, इसलिए आज टीसीएस का सबसे ज्यादा रेवेन्यू अमेरिका से आता है। कंपनी के लिए शुरुआती बड़ा काम मैनेजमेंट कंसलटिंग थी। इसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए प्रोडक्शन प्लैनिंग के साथ कंट्रोल सिस्टम उपलब्ध कराना था। आज टीसीएस 15 इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करती है। इसमें बैंकिंग, कम्युनिकेशन मीडिया और इनफॉरमेशन सर्विस, एजुकेशन, कैपिटल मार्केट, कंज्यूमर गुड्स डिस्ट्रीब्यूशन, एनर्जी रिसोर्सेस, हाईटेक, लाइफ साइंस, पब्लिक सर्विस, ट्रैवल और लॉजिस्टिक्स है। इसके अलावा और भी कई वर्टिकल्स है।
TCS का चेहरा :
फकीर चंद कोहली (1924-2020) आईटी इंडस्ट्री के भीष्म पितामह के कहलाते हैं। मैसाचुसेट्स टेक्नोलॉजी(एमआईटी) से पढे कोहली 1951 में टाटा इलेक्ट्रिक के साथ जुड़े थे। जेआरडी टाटा ने उनसे टीसीएस शुरू करने के लिए कहा था। वह कंपनी के पहले सीईओ थे। कोहली, आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस विभाग में एमटेक के पहले बेंच के लगभग सभी छात्रों को टीसीएस से आए थे। होली के बाद एस रामादोराई का नाम आता है। 1996 रतन टाटा ने रामादोराई को टीसीएस का चीफ एग्जीक्यूटिव बनाया था। उस समय एटीसीएस सिर्फ 160 मिलियन डॉलर की कंपनी थी। पीसीएस के वर्तमान चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन है, वही सीईओ राजेश गोपीनाथन कंपनी के एमडी और सीईओ है।
TCS Facts :
- दुनिया भर में कारोबार 01 नंबर पर हैं ग्राहकों की संतुष्टि के मामले में यूरोप में वाइट लेन रिसर्च
- 153 देशों में काम करती है टीसीएस
- 40 से ज्यादा रिसर्च और इन्नोवेशन सेंटर चल रहे हैं दुनिया भर में
- 5,92,195 कर्मचारी काम करते हैं इसमें 35% से ज्यादा महिलाएं हैं
- 52.2% रेवेन्यू अमेरिका से आता है कंपनी का, इसके बाद 31% यूरोप, भारत से 5 पॉइंट 1 प्रतिशत रेवेन्यू।
- 39.2% सबसे ज्यादा कमाई बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विस और इंश्योरेंस सेक्टर से होती है
- 12.5% की दर से इस की ब्रांड वैल्यू पिछले वित्त वर्ष में बढी है।
- 7 सालों से ब्रिटेन में सुपर ब्रांड बनी हुई है टीसीएस। सिंगापुर में पहली बार सुपर ब्रांड बने हैं।
