हमें पता है आपको गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदारों के सलेक्शन से दिक्कत नहीं है…क्योंकि अगर होती तो जिन चार के मार्कशीट आप सोशल मीडिया पर दिखाके हाय तौबा मचा रहे हो, उनमें से दो का चयन तो तीन साल पहले हो गया था….अगर आपत्ति थी तो उस वक्त ही इस मसले को उठाना था आपको…..लेकिन नहीं उठाया ?
क्यों नहीं उठाया ये हमें पता है कि आपको आपत्ति गोविंद डोटासरा के दो चार रिश्तेदारों से नहीं है…आपत्ति है किसान कबीले से चयनित हुए युवाओं से…आपत्ति है किसान कबीले के द्वारा चलाये जा रहे सामाजिक संस्थाओं के मार्गदर्शन से चयनित हो रहे युवाओं से….सबसे बड़ी आपत्ति ये है कि किसान कबीलों के युवा तुम धूर्तों के दिए हुए लट्ठों से अपने आसपास रहने वालों के जात धर्म के नाम पर सिर फोड़ने के बजाय….RAS की मेरिट को तोड़ रहे हैं….औऱ तुम असहाय कुंठित हो रहे हो ये सब देखकर….
तो बात ऐसी है प्यारे धूर्तों….गांव देहात में एक कहबत चलती है कि “बाड़ में मूतने से बैर नहीं निकलता है’ बैर निकालना है तो सामने वाले के खेत में घुसना पड़ता है !
और अगर सच में बैर निकालना है तो बाड़ में मूतने वाली हरकतें…आरोप प्रत्यारोप छोड़ो और सामने आओ मैदान में….लट्ठ लेकर नहीं……कलम और किताबें लेकर….फिर देखते हैं किसमें है कितना दम !
और अंत में एक बात मेरे उन सब सदियों से सुख दुःख के सहभागी रहे कबीलों के युवाओं से….कि ये जो प्रोपगैंडा चलाया जा रहा है ना….ये हम सबकी सदियों पुरानी सहभागिता को खंडित विखण्डित करने की चाल से ज्यादा कुछ नहीं है ! आज से कुछ साल पहले गुज्जर और मीणाओं के बीच खाई खोदी थी….उसके नतीजे हमने देखे हैं….अब ये एक नई खाई खोदने को आतुर हैं ! आज इन्होंने को किसी एक को निशाना बनाया है….कल को आप हम में से किसी को ओर को बनाएंगे….क्योंकि इनकी बदहजमी का सिर्फ एक ही कारण है कि इनके रहते कोई भी मेहनतकश कौम आगे कैसे बढ सकती है ! तो प्यारे सहभागी भाईयों….धूर्तों की मंडली के झांसे में आकर आपसी भाईचारा खोने के बजाय इन धूर्तों के विनाशक मंसूबों को धराशाही करो !
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जय जवान 💪 जय किसान 💪