साथियों आज के इस पोस्ट में हम देश के एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जिस पर बात करनें वाले भी नहीं कर रहे है। जी हां आप समझ गये होंगे मैं किसकी बात कर रहा हूँ दरअसल आज मैं देश के प्रिंट व इलेक्ट्राँनिक मीडिया की बात कर रहा हूँ जो पूर्णत सरकार का गुलाम हो गया है और देश के असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रहा है और सरकार की कठपूतली बनकर रह गया है ।
21 वीं शताब्दी में देश में सैकड़ों हिंदी इंग्लिश न्यूज चैनल है पर उनमें से शायद दो-चार गिने चुने मुख्य धारा के चैनल बचे हुए है जो देश के असली मुद्दे (गरीबी, बेरोजगारी, किसान व अर्थव्यवस्था ) की बात करते है।
आज के समय मे पत्रकारिता नाम की कोई भी चीज नहीं बची हुई है। अगर एक सच्चा पत्रकार सरकार को आइना दिखाता है तो उसे देशद्रोही करार दिया जाता है। उस पर दबाव बनाया जाता है उसे समाचार चैनलों से निकाले जाने की धमकियां दी जाती है उस पर बेवजह के मुकदमे थोप दिए जाते है।
भारतीय मीडिया की दुर्दशा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों की सूची मे भारत 142 व पायदान पर खड़ा है। वही नेपाल व श्रीलंका की स्थिति भारत से काफी बेहतर है।
दोस्तों टीवी चैनलों पर सुबह से शाम तक केवल सरकार की उपलब्धियां गिनाई जाती है। सरकार से सवाल पूछने के बजाय दिन-भर विपक्ष को कोसो जाता है। अगर सरकार से कोई सवाल पूछ ले तो मीडिया एकदम से बौखला जाती है।
एक समय ऐसा था जब लोकतंत्र का 4 था स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया सरकार से बेबाकी सवाल जवाब कर सकती थी हां मै भी मानता हूं कि हर सरकार मे मीडिया पर सरकार का दबाव रहता है परन्तु इतना कभी नहीं देखा। आपातकाल के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रिंट मीडिया को दबाने की पुरी कोशिश मगर सच्चे पत्रकार कभी नहीं दबे और लगातार सरकार से सवाल जवाब करते रहे।
आज के मीडिया को जनता के मुद्दों से कोई मतलब नही रहा है वे तो सिर्फ टीआरपी की रेस मे लगे हुए है और सभी चैंनल अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताने मे लगे हुए है यह खेल कब तक चलता रहेगा कोई नहीं जानता ।
साथियों मै आप सब से आग्रह करता हूं कि आप इन टीवी न्यूज चैनलों को देखने से बचे क्योंकि यह आपके लिए समय की बर्बादी है। इन चैनलों पर कोई भी बात ऐसी नहीं होगी जो आपके कुछ भी काम की हो।
एंकर ऐसे चिल्लाते है जैसे कोई खेल चल रहा हो उनको अब जनता से कोई मतलब नही है अगर आपका टाइम पास नही हो रहा है तो आप इन्हे देख सकते है। दोस्तों सरकार ने मीडिया को अलग-अलग काम दे दिया है जैसे कुछ चैनल सिर्फ विपक्ष को कोसने का काम करेंगे तो कुछ पिछली सरकारो के कामकाज की तुलना वर्तमान सरकार से करते है कुछ चैनल हिन्दू-मुसलमान करके सरकार का एंजेडा चलाऐंगे तो कुछ चैनल सिर्फ पाकिस्तान व चीन की खबरे चलाकर देश को गुमराह करने मे लगे हुए है।
वर्तमान समय मे आपको कुछ एक चैनल और पत्रकार ही मिलेंगे जो सच्ची पत्रकारिता करते नजर आयेंगे। आप मीडिया की चाटूकारिता का अंदाजा इस बात से लगा सकते है क्या आपने पिछले 5 सालों में कभी भी किसी चैनल को किसानों, बेरोजगार युवाओं, देश की गिरती अर्थव्यवस्था, गरीबी के बारे मे डिबेट या प्राइम टाइम शो मे खबरे चलाते हुए देखा है? अगर आपका उत्तर हाँ है तो आप देखते रहिए और ना है तो इनका बहिष्कार कीजिए।
चैधरी चरण सिंह जी का वो कथन आपको याद होगा जिसमें उन्होंने कहा था- “जब तक मीडिया मेरे खिलाफ है मैं तब तक जनता का सेवक हूँ जब मीडिया मेरे साथ हो जाएगी तब समझ लेना अब मै आपके कोई काम का नही रहा” हूँ।
