साथियों पहलवान बनाम सरकार का यह मुकाबले उस वक्त नाटकीय मोड़ ले लिया जब सरकार द्वारा प्रायोजित गोदी मीडिया ने एक झूठी खबर प्रचारित करते हुए पहलवानों के प्रदर्शन पर विराम लगाने की कोशिश की, और फिर पहलवानों ने इस खबर को झूठी बताते हुए सरकार व मीडिया का प्रोपगेंडा करार दिया।
दरअसल पहलवान पिछले एक महीने से अधिक समय से जंतर-मंतर पर निवर्तमान WFI प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलें में न्याय की गुहार लगाते हुए धरने बैठे थे और इस आरोपी के खिलाफ सजा की मांग कर रहे थे।
सोमवार को देश के मीडिया में झूठी खबर चलाते हुए हेडलाइन बनाई गई की पहलवानों ने प्रदर्शन को बंद करते हुए अपनी नौकरी को वापस से ज्वाइन कर लिया।
इसके बाद पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए इस बात का खंडन किया है।
बजरंग ने ट्वीट करते हुए लिखा “हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापस लिया है। महिला पहलवानों की एफआईआर उठाने की खबर भी झूठी है। इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।”
इसके बाद साक्षी मलिक के ट्वीटर हैंडल से भी ट्वीट आया “ये खबर बिल्कुल गलत है, इंसाफ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ-साथ रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को साथ निभा रही हूं, इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है, कृपया कोई गलत खबर ना चलाई जाए”।
विनेश ने ट्वीट किया “महिला पहलवान किस ट्रामा से गुजर रही है इस बात का अहसास भी है फर्जी खबर फैलाने वालों को? कमजोर मीडिया की टांगे हैं जो किसी गुंडे के हंटर के आगे काँपने लगती हैं, महिला पहलवान नही”।
साथियों यह खबर पहलवानों की रविवार रात अमित शाह से मुलाकात के बाद एक प्रोपगेंडा के तौर पर चलाई गई।
इस फर्जी खबर के चलाए जाने के बाद से ही देशभर में ट्वीटर पर इन सभी न्यूज चैनलों के खिलाफ ट्रेंड चलने लगे और फेक न्यूज का एक्सपोज किया जाने लगा।
निष्कर्ष:
इन झूठी खबरों से एक बात तो जाहिर हो जाती है, कि देश का चौथा स्तंभ कह जाने वाले मीडिया को सरकार अपनी जेब में रखकर चलती है और गोदी मीडिया अपने अकाओं के इशारें पर नाच रहा है, आम आदमी के असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाकर सरकार के कुकर्मो का रक्षक बन बैठा है मीडिया।