Passport व Visa में अंतर | Passport Ranking 2021|

साथियों आज की इस पोस्ट में जानेंगे कि दुनिया का सबसे पाॅवरफूल पासपोर्ट कौनसा है और इसी पोस्ट में हम आपकों पासपोर्ट का इतिहास व इसके अब तक के पूरे सफर को बताऐंगे। इसके अलावा में हम आपकों बताऐंगे पासपोर्ट और वीजा में क्या अंतर है?
आपमें से बहुत से लोगों के मन में यह सवाल तो उठ ही रहा होगा कि पासपोर्ट के बारे में तो हमने सुना है मगर क्या पासपोर्ट की भी कोई ताकत होती है क्या ? तो इसका जवाब है जी हां। दुनिया के ऐसे बहुत से देश है जिनका पासपोर्ट दुनिया के अन्य देशों से काफी ताकतवर माना जाता है। दुनिया भर के देशों की पाॅवर रैंकिंग हर साल आती है।
हाल में आई नई पासपोर्ट सूची में सबसे ऊपरी पायदान पर खड़ा पासपोर्ट जापान का है पासपोर्ट को किस आधार पर रैंकिंग में शामिल किया जाता है और कैसे सूची जारी कि जाती है आइये समझते है इस पोस्ट में।

पासपोर्ट और वीजा में अंतर:

आपमें से बहुत से मेरे साथी पासपोर्ट और वीजा को एक ही समझ रहे है जिनको ज्ञात नहीं उनको मैं बता दूं पासपोर्ट और वीजा बिल्कुल भिन्न है।
पासपोर्ट देश के नागरिकों को उसका अपना देश देता है इसके बिना कोई भी नागरिक देश नहीं छोड़ सकता है।
वीजा वो देश जारी करता है जहाँ आपकों जाना है। दुसरे देश की अनुमति के बिना आप उस देश में प्रवेश नहीं कर सकते है। दुनिया के कई ऐसे देश है जहाँ का वीजा लेना बहुत ही कठिन काम है। जबकि पासपोर्ट तो देश का कोई भी मूल निवासी ले सकता है।
अगर आपको अमेरिका जाना है तो आपको भारत का पासपोर्ट और अमेरिका का वीजा लेना जरूरी होता है। वीजा देने का अधिकार उस देश के पास होता है जहाँ आपको जाना है।
हालांकि दुनिया के कुछ ऐसे भी देश है जहाँ पर बिना वीजा के भी आप जा सकते है यह तभी संभव है जब दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ता काफी बेहतर हो।
कहने का तात्पर्य है पासपोर्ट अपने देश से बाहर जाने का पास है तो वीजा दुसरे देश में एंट्री का पास है। दुनिया के कई ऐसे देश है जहाँ पर भारतीयों को वीजा की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि उनके पास भारत का पासपोर्ट है। कई देश ऐसे है जहाँ का वीजा तो लेना पड़ता है यह तभी संभव है जब व्यक्ति उस देश में पहुंचे।
इस तरह पासपोर्ट के आधार पर अन्य देशों मे जाने की अनुमति जिन देशों को जितनी अधिक होगी उन देशों का पासपोर्ट उतना ही ताकतवर माना जाएगा।
सबसे ताकतवर पासपोर्ट जापान का है और सबसे कमजोर अफगानिस्तान का। जापान के लोगों को 191 देश बिना वीजा के अपने देश में घूमने व रहने की अनुमति देते है तो वहीं मात्र 25 देश अफगानिस्तान के लोगों को अपने देश में बिना वीजा के आने की अनुमति प्रदान करते है।

भारत के पासपोर्ट की ताकत :


इस सूची में भारत का 85 वां स्थान है भारत का नागरिक 58 देशों मे बिना वीजा के यात्रा कर सकता है। भारत की रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले दो पायदान लुढ़कर नीचे आ गई है।

पासपोर्ट का इतिहास:


कई बार यह भी सवाल पूछने में आता है सबसे पहले किस देश ने पासपोर्ट देने की प्रथा को प्रारंभ किया है? पासपोर्ट की कहानी इतनी पुरानी है कि इसको भी प्राचीर, मध्यकालीन, और आधुनिक कालक्रमों में आसानी से बांटा जा सकता है।
पासपोर्ट का सबसे प्राचीन अवशेष हमें हिब्रू बाईबल में मिलता है हिब्रू बाईबल को नेहमियान कहा जाता है इसकी रचना 450 ईपू हुई थी। इसमें बताया जाता है कि एक राजा अपने एक दूत को कुछ दस्तावेज देता है इस दस्तावेज में नदी पार करके दूसरे राज्य में जाने की अनुमति दी गई थी।
इसके बाद पासपोर्ट जैसे दस्तावेज का वर्णन का भारतीय ग्रन्थ अर्थशास्त्र में मिलता है मौर्य कालीन इस ग्रंथ की रचना चाणक्य ने की थी। इसमें राजव्यवस्था से जुड़ी पूरी प्रकिया को समझायी गई है राज्य के एक अधिकारी मुद्राराक्षस का वर्णन इसमें मिलता है। इसका काम किसी भी बाहर से देश में आने वाले और देश से बाहर जाने वाले व्यक्ति के दस्तावेजों पर मुहर लगाने का होता था। यह बात दसअसल तीन ईसा पूर्व की है।
इसके बाद चीन में चिन और हांन सामा्रज्य के वक्त भी लोगों को नाम, पत्ते और हुलिया के आधार पर दस्तावेज जारी करने का विवरण मिलता है। इनके आधार पर ही वो देश या राज्य के बाहर जा सकते थे।
मध्यकाल की बात करे तो इस्लामिक खलीफत के वक्त ऐसे दस्तावेज देखने को मिलते है जो कि पासपोर्ट की पुष्टि करते है। यह बात छठी शताब्दी से नौवीं शताब्दी के बीच की है इसमे बर्रा नाम का एक दस्तावेज देखने को मिलता है इसे इस्लामिक टैक्स जकात और जजिया भरने के बाद ही दिया जाता था। इसके बाद ही कोई देश से बाहर जा सकता था।
अब बात करते है आधुनिक पासपोर्ट की तो इसकी सर्वप्रथम शुरूआत करने वाला देश ब्रिटेन को माना जाता है ब्रिटेन के शासक हेनरी पंचम को पासपोर्ट का जनक माना जाता है। 1420 में उन्होंने अपने करीबी लोगों का विदेश में नियुक्ति के समय ऐसे दस्तावेज जारी किए जिनसे आसानी से पत्ता चल सके वो किस पद पर है और उनका अता-पता क्या है। इस समय तक पासपोर्ट समय चलन में नहीं रहा था। हेनरी के समय यह कम लोगों को दिया जाता था मगर आगे चलकर इसकी संख्या बढ़ने लगी।
ब्रिटेन का शासक की मदद करने वाली प्रिवीं कौसिंल ने 1540 में एक एक्ट पास किया उसमें पासपोर्ट का सामान्य प्रणाली बनाना शुरू किया था और इसी एक्ट ने दुनिया को सर्वप्रथम पासपोर्ट शब्द दिया है। इसी एक्ट में पासपोर्ट शब्द का पहली बार जिक्र हुआ।
1794 में ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने बाकायदा बड़े स्तर पासपोर्ट जारी करना शुरू कर दिया था और इसे देश से बाहर जाने के लिए सबसे जरूरी दस्तावेज बना दिया और अगर इसके बिना कोई देश से बाहर जाता है तो उसे देश निकाला देने का प्रावधान कर दिया था।
साल 1920 में लीग ऑफ़ नेशंस ने पासपोर्ट पर एक बैठक की और इसी बैठक में पासपोर्ट की साइज, रंग व डिजाइन निकलकर सामने आई और इसके बाद ऐसी ही बैठके 1926 और 1927 में हुई जिसमें पासपोर्ट प्रणाली को और सुधारा और सुगम बनाया गया था। यह लीग ऑफ़ नेशंस वही संगठन था जो पहले विश्वयुद्व के बाद विश्व शांति बनाये रखने के लिए बनाया गया था। यह आधुनिक पासपोर्ट प्रणाली की तरफ बढ़ाया गया पहला बड़ा कदम माना जाता है।
ज्यों ही पासपोर्ट प्रणाली दुनिया में सफलता की ओर बढ़ने ही वाली थी उसी समय दूसरे विश्व युद्व की गूंज दुनिया में सुनाई देनी प्रारंभ हो गई। इससे पासपोर्ट प्रणाली को काफी गहरा झटका लगा लोग दूसरे देशों मे जाने से डरने लगे और अपना देश छोड़ने को राजी ही नहीं हो रहे थे।
लीग ऑफ़ नेशंस की असफलता के बाद दूसरे विश्व युद्व के बाद दुनिया में यूनाइटेड नेशंस (संयुक्त राष्ट्र संघ ) अस्तित्व में आया इसका प्रमुख उद्देश्य लीग ऑफ़ नेशंस की कमियां को दूर करना और दुनिया में शांति बनाये रखना था। संयुक्त राष्ट्र ने आगे जाकर पासपोर्ट को लेकर कड़े कायदे कानून बना दिए जो कि आज भी लागू है।
पासपोर्ट को आज का स्वरूप 1980 में दिया गया था International Civil Aviation Organisation ने पासपोर्ट के मानकीकरण और जारी करने का जिम्मा संभाला। इसके बाद ही आज के स्वरूप का पासपोर्ट हम लोगों को देखने को मिला है।
कुछ साल पासपोर्ट में बायोमैंट्रिक प्रणाली को प्रारंभ कर दिया गया और अब तो दुनिया के कई देशों ने डिजिटल पासपोर्ट जारी करना प्रारंभ कर दिया। मतलब पासपोर्ट की शक्ल एक बुकलेट से बदलकर क्रेडिट कार्ड जैसी हो चुकी है। और इनमें ही बायोमैट्रिक सिस्टम होता है।
हर देश अपने देश के नागरिकों को अलग-अलग प्रकार के पासपोर्ट जारी करते है आजादी से पहले भारत में खास प्रकार का ब्रिटिश डिजाईन का पासपोर्ट का चलन था इस पासपोर्ट को उन खास देशों के लिए बनाया गया था जो ब्रिटिश शासन के अधीन आते थे। जब भारत आजाद हुआ तो पासपोर्ट धारकों के लिए भारत, पाकिस्तान, और ब्रिटेन की नागरिकता धारण करना का मौका दिया गया था। इसके बाद भारत अपने खूद के पासपोर्ट जारी करना प्रारंभ कर दिया ।

भारत में पासपोर्ट के प्रकार:

भारत तीन प्रकार के पासपोर्ट जारी करता है।
साधारण पासपोर्ट : आम नागरिकों को दिया जाता है इसका रंग नीला होता है इसमें 36 से 60 पेज होते है। इसे P कैटेगरी का पासपोर्ट कहा जाता है।
डिप्लोमेटिक पासपोर्ट : भारत के राजदूतों, सांसदों और देश मंत्रियों को इश्यू किया जाता है यह पासपोर्ट ऐसे सरकारी अधिकारी को भी जारी किया जा सकता है जो किसी आधिकारिक दौरे पर देश के बाहर की यात्रा कर रहा हो। इसका रंग मैरून होता है और इसे D कैटेगरी का पासपोर्ट कहा जाता है।
Official पासपोर्ट : अगर कोई भी अधिकारी सरकार के किसी भी काम से दूसरे देश की यात्रा कर रहा है, तो उसे Official पासपोर्ट इश्यू किया जाता है इसका रंग सफेद होता है। इसे S कैटिगरी या सर्विस कैटेगरी का पासपोर्ट कहा जाता है।
दुनिया भर में पासपोर्ट बनाने का काम ज्यादातर उस देश का विदेश मंत्रालय करता है देश एक-दूसरे के हिसाब से पासपोर्ट की शर्ते तय करता है उदाहरण के तौर पर कई देशों में दोस्ताना रिश्ता होता है तो वहां पर बिना वीजा ही अपने देश में आने व घूमने फिरने की अनुमति होती है। वीजा लेने की प्रकिया दूसरे देश में जाने के बाद प्रारंभ होती है। दुनिया भर के पासपोर्ट और वीजा को इकठ्ठा करके ही ताकतवर देशों की पासपोर्ट सूची जारी की जाती है।

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