शैलेश लोढ़ा- तू मुझे जानता नहीं है
मेरी सुबह तो आप लोग जानते ही हैं कि मेरी सुबह में सुबह होना तब ही संभव है, जब मेरे व्यक्तिगत पड़ोसी बाबूलाल जी मेरे घर पधार जाएं और चाय के आचमन के साथ मेरी सोच को किसी नए विषय पर जागृत कर लें तो हम भी सूर्यदेवता से कह ही रहे थे कि प्रभु … Read more