NIKE Success Story | NIKE सफलता का कहानी

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम स्पोट्स फुटवियर कंपनी नाइकी की सफलता का कहानी जानेंगे।
इनोवेशन डिसरप्षन। अंग्रेजी के यह दो शब्द दुनिया की नंबर 1 शूज कंपनी नाइकी की रगो में है, इनोवेशन यानि नया सोचते करते रहना। डिसरप्षन यानि अपने किए काम को खत्म करते हुए नए सिरे करना। को-फाउंडर फिलिप एक इंटरव्यू में कहते है कि हमारी सफलता का राज इनोवेशन है। हम इनोवेट करने के लिए लगातार एथलीट्स से मिलते। फिर असफलताएं हाथ लगीं, तो डिसरप्षन से भी नहीं चुके।’ नाइकी की टैगलाइन है – ‘जस्ट डू इट’ इसे क्रिएटिविटी के लिए अवाॅर्ड मिले। यह लाइन एक सीरियल किलर के आखिर शब्दों लेट्स डू इट से प्रेरित थीं। ग्रीक देवी का एक नाम नाइकी है। ब्रांड वैल्यू के लिहाज से नाइकी दुनिया का नंबर-1 फैशन ब्रांड है।

स्थापना: 1964
मार्केट वैल्यू: 13 लाख करोड़ रू

शुरूआती सफर:

फिलिप नाइट ने 1962 में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MBA किया। MBA से जुडे एक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए उन्हें जूतों के बिजनेस में जाने का आइडिया आया। उन दिनों अमेरिकन मार्केट में जर्मन कंपनी एडिडास और प्यूमा का दबदबा था। फिलिप जापान गए और ओनित्सुका टाइगर जूते के मालिक से मुलाकात की।’ ‘ओनित्सुका टाइगर’ रनर शूज थे। फिलिप ने ब्लू रिबन काॅपोरेशन कंपनी के बैनर तले अमेरिका में ये जूते बेचना शुरू किए। मांग बढ़ने लगी तो ओनित्सुका अमेरिका सप्लाई नहीं कर पा राहे थी। फिलिप के बिजनेस पार्टनर बिल बोवरमैन ने 1972 में ओनित्सुका से अनुबंध खत्म होने से पहले ही फिलिप के साथ मिलकर कंपनी शुरू कर दी- नाइकी। जापान से जब भी जूते आते थें तो बिल कुछ जूते खोलकर देखते थे, जिससे पता चल सके कि ये कैसे बनते हैं। बाद में यही अनुभव काम आया। 1989 में नाइकी अमेरिका की सबसे बड़ी स्पोट्र्स शूज कंपनी बन गई।

समय से आगे नाइकी, मेटावर्स, NFT और वेब-3 में कदम:

साल 2017 से ही नाइकी ने डिजिटली पुश करना शुरू कर दिया था। इसलिए लाॅकडाउन में कंपनी पर कोई खास असर नहीं पड़ा। ‘नाइकीलैंड’ के साथ मेटावर्स में कदम रखा है। इसमें एक अन्य कंपनी के जरिए लोग नाइकी ब्रांड का अनुभव ले सकते हैं। नवंबर 2021 में नाइकीलैंड की लाॅन्चिंग के बाद से अब तक 70 लाख लोग यहां अनुभव कर चुके हैं। नाइकी ने पिछले साल आरटीएफकेटी स्टूडियोज खरीदा, यह NFT इकट्ठा करता था। कंपनी ने महज 6 मिनट में ही NFT स्नीकर्स के 600 पेयर्स बेच दिए थे, जिसकी कीमत 24 करोड़ रूपए से ज्यादा की थी। कंपनी हर साल औसतन 78 करोड़ जूते बेचती है। इस लिहाज से यह आंकड़ा हर सेकंड 25 पीस का होता है। न्यूयाॅर्क के स्टोर में स्पोट्र्स-टेक्नोलाॅजी के साथ उत्पाद का अनुभव कर सकते हैं। स्टोर में मौजूद बास्केटबाॅल कोर्ट पर कैमरों की मौजूदगी के साथ रीयल टाइम में खेल सकते हैं। ट्रेडमिल पर दौड़कर आउटडेार रनिंग का फील ले सकते है।

कैजुअल शूज में घाटा हुआ, 200 मिलियन डाॅलर तक गिरी थी सेल :

1980 में नाइकी ने महसूस किया कि रनिंग शूज का बिजनेस धीमा पड़ रहा है, जबकि इससे कंपनी का एक तिहाई रेवेन्यू आ रहा था। इसके बाद कैजुअल शूज का रूख किया। ये कदम उल्टा पड़ा। 1970 से फायदे में चल रही कंपनी 1985 में लगातार दो तिमाही तक घाटे में रही। वित्तिय वर्ष 1987 में कंपनी की सेल्स 200 मिलियन डाॅलर तक गिर गई। फिलिप नाइट कहते हैं कि शुरूआत में जब कंपनी सिर्फ रनिंग शूज बनाती थी और सारे कर्मचारी रनर्स थे, तो हम ग्राहकों को अच्छी तरह समझते थे। अच्छे प्रोडक्ट, बढ़िया एड-कंपनी के बावजूद सेल्स धीमी थी। ग्राहकों को समझने के लिए नाइकी की टीम जमीनी स्तर पर गई। खेल स्पर्धाओं में ए, जिम, टेनिस कोर्ट में लोगों से बात की। बहुत सारा समय स्टोर्स में जाकर बिताया और लोगों का व्यवहार से देख। फिलिप कहते हैं कि ग्राहकों को समझना अच्छी मार्केटिंग का हिस्सा है। आपकों ब्रांड समझने की भी जरूरत है। कैजुअल शूज से हमने यही सबक सीखा।

नाइकी तथ्य:

फिलिप एच नाइट: 84 साल के (को-फाउंडर नाइकी) फिलिप फिलहाल चेयरमैन एमिरेट्स हैं।
3.29 लाख करोड़ रू, संपत्ति के मालिक हैं।
बिल बोवरमैन:
(1911-99) भी नाइकी के को-फाउंडर रहे हैं।
फाॅच्र्यून 500 में 83वें नंबर पर है नाइकी।
हेडक्वार्टर: बीवर्टन यूएसए में है।
स्टोर्स: 1967 हैं दुनियाभर में।
कर्मचारी: 73 हजार से ज्यादा।

शूज की दुनिया के लीडर:

नाइकी (अमेरिका)
मार्केट कैप: 164 अरब डाॅलर
एडिडास (जर्मनी)
मार्केट कैप: 32.25 अरब डाॅलर
वीएफसी (अमेरिका )
मार्केट कैप: 17 अरब डाॅलर
प्यूमा (जर्मनी)
मार्केट कैप: 9.76 अरब डाॅलर
स्कैचर्स (अमेरिका)
मार्केट कैप: 5.57 अरब डाॅलर।

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