Mcdonald’s Success Story | मैक्डाॅनल्ड सफलता की कहानी

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम फास्ट फूड चेन कंपनी मैक्डाॅनल्ड की सफलता की कहानी जानेंगे।

कब बनी1955
बाजार15.41 लाख करोड़ रूपए

मैक्डाॅनल्ड नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहले बर्गर, फ्रेंच फ्राइज ही आएंगे। लेकिन अगर कहें कि इसकी कमाई फ़ूड से ज्यादा किराए से होती है, तो चौकना स्वाभाविक है। फास्ट फूड चेन मैक्डाॅनल्ड ने लोगों की खाने-पीने की आदतें बदल दीं। कंपनी 67 साल पुरानी जरूर है, लेकिन आज भी दुनियाभर के बिजनेस स्कूल में पढ़ाया जाता है कि कैसे कैलिफोर्निया की कंपनी ने दुनियाभर में साम्राज्य खड़ा कर लिया। अमेरिका में तो अस्पतालों से ज्यादा मैक्डाॅनल्ड के स्टोर्स हैं। दुनिया में हर दिन 5 करोड़ से ज्यादा बर्गर बिकते हैं।

कहानी:

1940 में दो भाईयों मैक-डिक ने कैलिफोर्निया में मैक्डाॅनल्ड शुरू किया। शुरूआत में यह बार्बिक्यू था। फिर मेन्यू में बर्गर, फ्राइस, बेवरेजेस जोड़े। 1954 में बिजनेसमैन रे क्राॅक मैक्डाॅनल्ड गए। उस समय मैक्डाॅनल्ड विस्तार कर रहा था और क्राॅक को इसमें अवसर दिखा। उन्होंने 1955 में मैक्डाॅनल्ड सिस्टम की स्थापना की और 1961 में मैक्डाॅनल्ड के सारे अधिकार और इसके काम करने का तरीका भी खरीद लिया। क्राॅक को ही मैक्डाॅल्ड को वैश्विक ब्रांड बनाने का श्रेय जाता है। 1961 में उन्होंन फ्रेंचाइज और मैनेजमेंट की ट्रेनिंग के लिए कई देशो में हैमबर्गर यूनिवर्सिर्टी शुरू की।

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बिजनेस:

मैक्डाॅनल्ड का बीते साल राजस्व 1.83 लाख करोड़ रूपए रहा। इसमें 56 प्रतिशत रेवेन्यु-एक लाख करोड़ रूपए फ्रेंचाइज रेस्तरां से आया। बाकी रेवेन्यू कंपनी संचालित रेस्तरां से आया। मैक्डाॅनल्ड के 119 देशो में 40,031 रेस्तरां हैं। इनमें 93 प्रतिशत यानी 373295 रेस्तरां फ्रेंचाइज माॅडल पर काम करते हैं। फ्रेंचाइज माॅडल के तहत व्यक्तिगत लोगों से आउटलेट का अनुबंध करते हैं और मैकडोनाल्ड वो जगह खरीद लेता है। फिर ऑपरेशन चुकाता है। इस किराए से भी मैकडोनाल्ड की अच्छी-खासी कमाई होती है।

ब्रांडिंग:

फ्रेंच फ्रायज मैक्डाॅनल्ड का सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट है। और हर दिन 4500 टन फ्रेंच फ्रायज दुनियाभर के आउटलेट्स में बिकती हैं। फ्राइज भी उत्तरी अमेरिका में उगाए जाने वाले विशेष किस्म के आलू शेपाॅडी और रसेंट बरबैंक से तैयार होती हैं। 2018 में मैक्डाॅनल्ड ने बर्गर में कृत्रिम फ्लेवर, प्रिजर्वेटिव्स या रंग मिलाना बंद कर दिया था। भारत में भी इसके अधिकांश उत्पादों में कृत्रिम चीजें नहीं मिलाई जाती। दुनियाभर में दो हजार चीजें नहीं मिलाई जातीं। दुनियाभर में दो हजार से ज्यादा किसानों को मैक्डाॅनल्ड गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस स्टैंडड्र्स का प्रशिक्षण दिया गया।

रणनीति:

दूसरी तिमाही के नतीजों के मुताबिक इसकी अमेरिका में सेल्स 3.7 प्रतिशत बढ़ी है, वैश्विक बिक्री भी 10 प्रतिशत बढ़ी। मंदी के दबाव के बावजूद मैक्डाॅनल्ड की सेल्स बढ़ने का कारण ‘वैल्यू परसेप्षन’ है। सीधे अर्थो में समझे यू तो ग्राहक के मन में उस उत्पाद की कीमत को लेकर क्या राय बनती है, इसमें वह प्रतिस्पर्धी उत्पादों से भी तुलना करता है। 2008 की मंदी में भी ग्राहकों ने जहां फुल सर्विस रेस्तरां में जाना कम कर दिया था, लेकिन मैक्डाॅनल्ड की सेल्स पर खासा असर नहीं आया था। ग्रोसरी में महंगाई के बाद भी कंपनी को फायदा हो सकता है।

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