Kurds कौन है ? Iran में उनके साथ इतना भेदभाव क्यों होता है? उनके संघर्ष की पूरी कहानी

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ईरान में रह रहे कुर्दो को कई किस्मों का अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है कुर्दो का ईरान अपना नागरिक ही नहीं मानता क्योंकि कुर्दो ने कभी भी वहां का इस्लाम शासन स्वीकार ही नहीं किया ईरानी सरकार और कुर्दो के बीच यह समस्या कब शुरू हुई ईरान के अलावा कुर्द और कहां रहते है? इन तमाम सवालों के जवाब आपको आज के इस पोस्ट में मिलने वाले है।
कुर्द वो जातीय समूह है जिनके सदस्यों की संख्या 3 से 4 करोड़ के बीच में है यह समूह तुर्की, ईराक, सीरिया, अर्मीनिया के पहाड़ी इलाकों में रहते है तुर्की में करीब 1.5 करोड़ कुर्द रहते है उत्तरी ईरान में इनकी स्थानीय स्वायत सरकार भी है ईरान में कुर्द समुदाय तीसरा बड़ा जातीय समूह है और वहां की जनसंख्या का करीब 10 फिसदी है आज की इसी पोस्ट में हम बात करेंगे ईरान में अपने हक की लड़ाई करने वाले कुर्दों की कुमोला नाम की पार्टी के बनैर तले संघर्ष कर रहे है वहीं दुसरी ओर ईरान की सरकार से संगठन को आतंकवादी संगठन मानती है क्योंकि ईरान सरकार का मानना है कि कुमोला न की इन कुर्दों को ईरान की सरकार के खिलाफ भड़काने का काम करता है बल्कि उन्हें हथियार उठाने के लिए भी उत्साहित करता रहता है।
वहीं दुसरी ओर कुमाला का कहना है कि असली लड़ाई उनकी ईरान की सरकार के साथ है और वह इस लड़ाई को यूं ही आगे बढ़ाते रहेंगे कुमाला वो संगठन है जिसमें ईरान सत्ता से प्रताड़ित लोग शामिल होने आते है, कुमोला कुर्द समुदाय को शैक्षिक, सामाजिक, और आर्थिक रूप से काफी पिछड़े समुदाय को उनकी खोई हुई स्थिति को वापस दिलाने की कोशिश में लगा हुआ है।
ईरानी सरकार और कुर्दों के बीच असल समस्या क्या है? कुर्दों को लगता है कि शि़क्षा और नौकररियों के मामले में उनके साथ भेदभाव होता है ईरान के शैक्षिणिक पाठ्यक्रम में कुर्द भाषा को शामिल ही नहीं किया गया है इसलिए कई कुर्द ईरान से भागकर कठिन रास्ता तय करके ईराकी कुर्गदिस्तान पहुंचते है जहंा वो कुमोला में शामिल हो जाते है।
कुमोला की शुरूआत ईरान में एक संगठन के रूप में 70 के दशक में हुई थी वो तब यानि शाह का विरोध करते थे जब वहाँ क्रांति के बाद राजशाही का अंत हुआ और अयातुल्ला खामेनायीं के नेतृत्व में इस्लामिक शासन की नींव पड़ी तब से कुर्दों को ईरान और इस्लाम का दुश्मन माना जाने लगा।
ईरानी क्रांति के बाद से ही ईरान में हथियार बंद संघर्ष प्रारंभ हो गया था क्योंकि कुर्दों ने कभी भी इस्लामी सत्ता कबूल नहीं की और ईरानी सरकार ने भी न तो कुर्दों को अपने देश का नागरिक माना न ही उनकी समस्याओं पर कोई गौर किया यहाँ तक की उनके अनेक संगठनों को भी मान्यता नहीं दी। कई कुर्द अपने आप को ईरान में अपाहिज मानकर पड़ौसी मुल्कों में शरण ली और वहीं से अपनी मुहिम को चला रहे है।
अब ईरान के कुर्द ईरान से भागकर ईराक के कुर्ददिस्तान में रह रहे है उनका कहना है कि वो एक लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष ईरान चाहते है जिसमें सभी मजहब और जातीय समुदाय के लोगों को बराबर का हक मिले लेकिन युवा कुर्दो का कुमोला में शामिल होना कोई आसान बात नहीं है उन्हें कड़ी ट्रेनिंग के दौरान हथियार चलाने दुसरे युद्ध कौशल में माहिर होना पड़ता है सभी लोग इस चुनौती को पार नहीं कर पाते है।
ईराकी कुर्द व ईरानी कुर्दों में अंतर: अगर देखा जाए तो ईराकी कुर्द ईरानी कुर्दो से काफी बढ़िया स्थिति में है 1992 के बाद से ईराकी कुर्द ईराक की सत्ता चला रहे है तो वहीं ईरानी कुर्द की स्थिति काफी चिंताजनक और अफसोसजनक है ईरानी कुर्द ईरान के पड़ौसी मुल्कों के पहाड़ी इलाकों में निवास करते है उनके पास न तो मूलभूत सुविधा है और न अन्य प्रकार की कोई सुविधा।

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