साथियों आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे जेल के कैदी की जिंदगी के बारे में। कई बार आपके भी मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर जेल में रहने वाले कैदी का जीवन कैसा बितता है और उनके साथ कितनी सहूलियत बरती जाती है उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है कैसा खाना दिया जाता है क्या काम कराया जाता है इन सभी सवालों के जवाब आप लोगों को इस पोस्ट में मिलने वाले है।
नित्य कर्म:
सबसे पहले हम जानेंगे एक कैदी की सुबह से शाम तक की पूरी दिनचर्या के बारे में। आखिर कैदी को सुबह उठने से रात को सोने तक पूरा दिन कैसा बितता है।
साथियों एक कैदी के दिन की शुरूआत सुबह 5 बजे से होती है जब पहला पचासा ( घंटा) बजता है यानि जेल में रहने वाले कैदी को सुबह 5 बजे उठाया जाता है उसके बाद 5 से 6 बजे तक उसको नित्य कर्म से अनवरत होने का समय दिया जाता है फिर कैदी को कारागार परिसर में इकट्टा होने के लिए बुलाया जाता है और वहाँ पर उनकी हाजरी ली जाती है।
इसके बाद जिस कैदी की कोर्ट मे पेशी होनी है उसको सूचना दी जाती है कि आज आपकी पेशी है और बाकी कैदियों को प्रार्थना करवाई जाती है।
प्रार्थना के बाद कैदी को चाय नाश्ता दिया जाता है जिसमे चाय के साथ कभी ब्रेड कभी बिस्कुट कभी दलिया दिया जाता है।
नाश्ते के बाद कैदी को काम दे दिया जाता है जिसमें उसको तीन घंटे यानि 11 बजे तक काम कराया जाता है जिसमे अलग-अलग कैदी को अलग-अलग काम दे दिया जाता है। जैसे पेड़ पोधों को पानी देना, कारागार परिसर की सफाई करना, जैसे अनेक काम कराए जाते है जो कैदी काम नहीं करना चाहता उसको जेल प्रशासन को काम न करने के बदले पैसे देने पड़ते है जिसे हाता कहा जाता है।
सुबह 11 बजे दुसरा पचासा ( घंटा ) बजता है जिसमे कैदी को सुबह के भोजन के लिए बैरक के रसोईघर के पास बुलाया जाता है और सभी कैदीयों को भोजन कराया जाता है भोजन का समय 11 से 1 बजे तक का होता है इस कालक्रम मे कैदी कभी-भी भोजन कर सकता है।
भोजन:
कैदीयो को दिया जाने वाले भोजन काफी हल्का भोजन होता है उस भोजन में कैदी को 4 रोटी के साथ चावल व दाल और कभी-कभी दलिया परोसा जाता है यह भोजन निम्न स्तर का भोजन होता है जिसकी वजह से कई बार कैदियो के बीमार होने की भी शिकायते आती रहती है।
दोपहर 1 बजे तीसरा पचासा ( घंटा ) बजता है जिसमे कैदी को अपना-अपना कोई काम बचा है तो उसको करने का समय दिया जाता है इस समय कैदी कारागार पुस्तकालय मे पढ़ सकता है इसी लाइब्रेरी में लिख सकता है या फिर कुछ कैदी अपने-अपने कपड़े व कंबल भी धोते रहते है। कई बार तीसरे पचासे में भी कुछ कुख्यात बदमाशों से काम कराया जाता है।
चोथा व अंतिम पचासा शाम पांच बजे बजता जिसमे सभी कैदियों को अपनी-अपनी बैरक की तरफ लौटने के लिए कहा जाता है फिर सभी कैदियों की एक बार गिनती की जाती है। इसी समय जिस कैदी के रिहाई के आदेश पास हो गए है उनको रिहाई की सूचना दे दी जाती है कि आपकी रिहाई कल होने वाली है फिर जिन कैदियों को खाना बनाने का काम दिया गया है उनको खाना बनाने के लिए लगा दिया जाता है खाना बनाने व खाना खाने का समय 8 बजे तक का रहता है।
शाम के खाने के मैन्यू मे 6 रोटी के साथ दाल व कभी-कभी सब्जी दी जाती है। खाना खाने के बाद सभी कैदियों को अपनी-अपनी बैरक मे डाल दिया जाता है और कारागार के अन्दर के परिसर की लाईट बंद कर दी जाती है। और यही से कैदी के दिन की समाप्ती हो जाती है और अगला दिन उठते ही वही दिनचर्या का कार्यक्रम फिर से लागू हो जाता है।
बैरक:
कुछ साथियों के मन मे यह सवाल उठ रहा होगा कि बैरक क्या होती है? तो इसका जवाब है जिसमे कैदी को रखा जाता है कहने का तात्पर्य वो होल या कमरा जिसमे कैदी को बंद रखा जाता है।
इस बैरक मे ही कैदी को पीने के पानी की एक मटकी व एक ग्लास दिया जाता इसके अलावा खाना खाने के लिए एक थाली दी जाती है।
कपड़ो मे पहनने के लिए एक कुरता व बिना नाड़े का पजामा दिया जाता है। कैदियों के अपराध के अनुसार उन्हें अलग-अलग बैरको मे रखा जाता है। और हर कैदी को अपना-अपना नंबर दिया जाता जिसे हम आमतौर पर कैदी नंबर के नाम से पुकारते है।
नियम:
यह तो स्वाभाविक है अगर जेल मे नियम ही नहीं होगें तो फिर वो जेल नहीं कहलाएगी इसलिए जेल मे नियम भी होते है और वो भी बड़े ही सख्त।
जेल परिसर के अंदर पैसे रखना मना है कारागार कैंटीन मे अपनी ही टोकन करैंसी चलती है।
जेल मे हाथ मे कलाई घड़ी, सोने के आभूषण व माचिस अपना पेन व चम्मच भी रखना मना है।
जेल मे परिजनो को मिलने के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है इसके अलावा जिस कैदी के परिजन मिलने मे असमर्थ है उनको हफ्ते मे एक बार फोन पर बात कराई जाती है।
अगर किसी कैदी का परिजन बाहर से खाना, अचार, प्याज या नाश्ता कैदी के लिए लाता है तो उसको कैदी को देने से पहले जेल प्रशासन को एक निश्चित शुल्क का भुगतान करना पड़ता है अगर परिजन पैसे नहीं देते है तो उनके सामान को वापस लौटा दिया जाता है।
अगर कोई कैदी जेल प्रशासन के नियमो की पालना नही करता है तो उसको पिटा भी जाता है जेल के अंदर काफी डरावना माहोल रहता है।
साथियों यह है एक जेल की कैदी के जीवन का दास्तां अगर आपको हमारे द्वारा लिखा यह पोस्ट पसंद आया है तो आप अपने साथियों के साथ भी शेयर कर सकते है।
Bina naade ke koi kaidi apne pajame ko kese rokta hai . Kya me pls aap mujhe bta skte hai