नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम रेलवे कंपनी IRCTC की सफलता की कहानी जानेंगे।
देश में औसतन 2.5 करोड़ लोग रोज ट्रेन से सफर करते हैं। इसमें भी 35 से कम आरक्षित टिकट काउंटर्स से बुक होती है। बाकी सारी टिकटें IRCTC मोबाइल एप, वेबसाइर्ट, बाॅट आदि के जरिए बुक होती हैं।भले आपने IRCTC (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज् काॅर्पोरेशन लिमिटेड) से टिकट बुक न कराई हो, लेकिन स्टेशन पर इसके फूड स्टाॅल का खाना या पानी जरूर पिया होगा। ऑनलाइन टिकट बुकिंग के साथ स्टेशन पर खानपान में एकाधिकार रखने वाली यह सरकारी कंपनी 2008 में मिनी रत्न बनी। 2019 में शेयरबाजार में सूचीबद्ध हुई। यह कर्जमुक्त कंपनी सिर्फ कोरोनाकल में घाटे में रही, इससे पहले इसे कभी घाटा नहीं झेलना पड़ा।
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शुरूआत:
1999 में सरकार ने पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के तहत IRCTC की स्थापना की। उद्देश्य साफ था कि रेलवे से बिल्कुल अलग यह इकाई कैटरिंग (खानपान), टूरिज्म और टिकटिंग से मुनाफा कमाए। इंटरनेट का चलन बढ़ने के बाद अगस्त 2002 में ऑनलाइन पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम शुरू किया गया। IRCTC के लिए 2009 से 2011 तक उऑनलाइन रेलवे टिकट, स्टेशन और ट्रेन में खानपान सेवाएं और पैकेज्ड पानी में एकाधिकार रखती है। सेंटर फाॅर रेवलवे इंफाॅर्मेशन सिस्टम (क्रिस) IRCTC की टिकटिंग आदि की जिम्मेदारी संभालती है।
शेयर:
सरकारी कंपनी IRCTC के 67.40 फीसदी शेयर भारत सरकार के पास हैं। अमूमन सरकार अपनेशेयर भारत के राष्ट्रपति के नाम से लेती है। LIC के पास भी IRCTC के 7.28 प्रतिशत शेयर हैं। IRCTC अक्टूबर 2019 में शेयरबाजर में सूचीबद्ध हुई। कंपनी में 22.03 प्रतिशत आम लोगों के पास हैं। लिस्टिंग के साथ ही इसका शेयर 17 गुना मुनाफे के साथ 644 रूपए पर लिस्ट हुआ था। इसके बाद अगस्त 2021 में स्पिल्ट (एक शेयर पांच शेयर में तब्दील हो गया) होने से पहले यह 2,727 रूपए के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा थो। IRCTC के शेयर ने स्पिल्ट होने से पहले महज एक साल में निवेशकों को 100 फीसदी रिटर्न दिया था।
विवाद:
IRCTC का विवादों से पुराना नाता रहा है। हालिया विवाद ट्रैवल डाटा से जुड़ा हुआ है। खबरें थीं कि कंपनी यात्रियों का डाटा एक हजार करोड़ रूपए में बेच रही है। हालांकि कंपनी ने इसका खंडन किया। इससे पहले साल 2020 में हैकिंग की खबरें भी आई थी और लोगों का निजी डाटा चोरी होने का अंदेशा जताया गया था। इसके लिए बाकायदा एक टीम गठित की गई थी। किसान आंदोलन के समय IRCTC ने दो करोड़ ईमेल भेजे थे, इस निर्णय की भी काफी आलोचना हुई थी। साल 2016 में एक करोड़ लोगों के डाटा चोरी की मामला महाराष्ट्र साइबर सेल में दर्ज हुआ था। अधिकारियों ने इस मामले का सही मानते हुए डाटा लीक की बात पर हामी भरी थी।
रोचक:
आईआरसीटीसी की कमान फिलहाल रजनी हसाजी के हाथों में है। वह कंपनी की चेयरपर्सन और एमडी हैं। लेकिन कंपनी की सफलता के पीछे 2009 में इसके एमडी रहे राकेश टंडन का नाम लिया जाता है। उन्होंने कैटरिंग और टिकटिंग से जुड़े फैसले लेकर कंपनी की ग्रोथ बढ़ाई। मई 2009 में रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कैटरिंग बिजनेस को रेल मंत्रालय के अधीन करने का फैसला लिया जबकि टंडन ने खुली निविदा जैसी नीति बनाकर कैटरिंग को IRCTC के अंदर लाकर राजस्व का बहुत बड़ा हिस्सा बनाया। रेलवे ने जुलाई 2011 में कोलकाता में अपना ई-टिकटिंग पोर्टल शुरू कर दिया। लेकिन यह 20 दिनों में ही बंद हो गया। इसके बाद टंडन ने ऑनलाइन टिकटिंग पर सारा फोकस किया। राकेश टंडन को फ़ोर्ब्स ने पब्लिक सेक्टर में बेस्ट सीईओ अवाॅर्ड से सम्मानित किया था।
कंपनी का साम्राज्य:
11 लाख टिकट औसतन रोज बुक होते है। वित्त वर्ष 2022 में 38,178 करोड़ रूपए की टिकट बुक हुई।
54 प्रतिशत कमाई इंटरनेट टिकटिंग से, बाकी 27 प्रतिशत खानपान, 9 प्रतिशत रेल नीर, 8 प्रतिशत पर्यटन, 2 प्रतिशत राज्य तीर्थ से होती है।
8.03 करोड़ से ज्यादा यूजर्स है IRCTC के। 62 लाख लोग औसतन रोज लाॅग-इन करते हैं।
306 फूड प्लाजा और फास्ट फूड यूनिट है IRCTC के अधीन। 1774 रेस्तरां से करार किया है।
15.88 लाख टिकट एक दिन में बुकिंग(2 मार्च 2022) का रिकाॅर्ड है IRCTC के नाम।
