भारत से अपराध करके लोग लंदन क्यों भाग जाते है ? क्या होता है प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty)

साथियों भारत में जितने भी बड़े क्राइम होते जिनमें फाइनेंशियल क्राइम से लेकर और भी बड़े आपराधिक कार्य करके लोग विदेश भाग जाते है विदेश में भी वो सबसे ज्यादा लंदन में जाकर अपना ठिकाना बनाते है तो आपके भी मन में यह सवाल तो कहीं ना कहीं उठा होगा की यह सब आपराधिक प्रवृति वाले लोग लंदन ही क्या जाते है? तो आज की इस पोस्ट में हम इसी सवाल को जवाब खंगालने की कोशिश करेंगे।
सिर्फ भारत से ही क्राइम करे लोग लंदन नहीं भागते है इसके लिए दुनिया के अनेक ऐसे मुल्क है जहां के लोग अपने देश में कोई बड़ी आपराधिक घटना को अंजाम देकर लंदन भाग जाते है इसका अगर ताजा उदाहरण देखे तो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री पर जब भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे तो वो लंदन भाग गए उससे पहले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ पर अपने देश में अनेक धाराओं में केस दर्ज किया तो वो भी लंदन भाग गए।
अगर बात करे भारत से लंदन भागने वाले लोगों की तो उसमे आईपीएल में घोटाला करने वाले ललित मोदी हो या बैंको में घोटाला करने वाले नीरव मोदी हो, या विजय माल्या यह भी भारत से भागकर लंदन को अपना ठिकाना बनाया है।
दुनिया के बड़े-बड़े भ्रष्ट्रचारियों को इंग्लैंड आमंत्रित करता है इसके पीछे उसकी शर्ते रहती है कि अगर आपको हमारे देश में रहना है तो इसके लिए आपको पहले 2 मीलियन पौंड का निवेश करना पड़ेगा और कुछ रहने के लिए टैक्स भी चुकाना पड़ेगा। जो उनकी शर्तो को मानने के लिए तैयार हो जाता है उसे वहाँ आजादी से रहने दिया जाता है।


क्या इनको वापस देश लाया जा सकता है?


अब आपके भी मन यह सवाल तो जरूर उठ रहा होगा कि तो क्या इन क्रिमिनल लोगों को वापस देश में नहीं लाया जा सकता है तो इसका जवाब है बिल्कुल लाया जा सकता है मगर उसके लिए इंग्लैंड से प्रत्यर्पण संधि करनी पड़ती है। प्रत्यर्पण संधि एक द्विपक्षीय समझौता है जो दो देशों के बीच होता है। इसकों हम एक उदाहरण से समझते है माना की कोई भारत का अपराधी है जो भारत में बड़ा अपराध करके भाग गया है अब भारत सरकार इंग्लैंड के विदेश मंत्रालय से बात करेगा कि यह व्यक्ति भारत में अपराध करके भागा हुआ है आप हमे इसे वापस सौंप दे। अगर कोई आतंकवादी भारत में कोई बड़ी हिंसक वारदात को अंजाम देकर भागता है तो इंटरनेशनल पुलिस की मदद से रेड काॅर्नर नोटिस जारी करके उस देश से उस व्यक्ति के प्रत्यर्पण कराने को कहा जाता है जहां पर वो छिपा है मगर फाइनेंशियल अपराधोें में ऐसे नहीं होता है यहां पर अपराधी खुले आम उस देश में घुमा करता है।
भारत ने इंग्लैंड के साथ प्रत्यर्पण संधि 1992 में की इस संधि में मिलिट्री लीडर को प्रत्यर्पण नहीं करने की बात कहीं गई है। दूसरा राजनेताओं का प्रत्यर्पण नही करते है। इंग्लैंड प्रत्यर्पण तभी करता है जब दोनों देशों में उसे कानूनी रूप से अपराध माना जाता है।
प्रत्यर्पण से बचने के लिए अपराधी लंदन की कोर्ट में भी जा सकता है उसके केस की बाकायदा सुनवाई होती है।

प्रत्यर्पण की शर्ते :

प्रत्यर्पण करने से पहले इंग्लैंड की सरकार यह भी देखती है कि उसे भारत ले जाने के बाद सुरक्षा मुहैया कराई जाए प्रत्यर्पण किए व्यक्ति पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाए उसे कोर्ट में अपनी बात रखने का अधिकार दिया जाए।
इंग्लैंड की सरकार ने अब भारतीय बैंको का पैसा खाकर भागने वाले भगोड़े नीरव मोदी को भारत को सौंपने को मंजूरी दे दी है बहुत ही जल्द नीरव मोदी का इंग्लैंड प्रत्यर्पण करने वाला है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बहुत ही धीमी व शिथिल है इस प्रक्रिया में अपराधी को बचाने का प्रयास किया जाता है उसे प्रोपर मंच प्रदान किया जाता है। भारत ने 131 लोगों की प्रत्यर्पण की अर्जी लगाई हुई है मगर 2 लोग ही प्रत्यर्पण के जरिए भारत को सौंपे गए है।

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