Congress की लाचारी व बेबसी | Congress Party Crisis |

साथियों आज के इस पोस्ट में हम आपको कांग्रेस के लाचार केंद्रीय नेतृत्व पर उठते सवाल व उनकी नाकामी को उजागर करेंगे। आज दिल्ली में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व केंद्र सरकार के हर मुददे पर लाचार या बेबस सा नजर आ रहा है गांधी परिवार को यह भी नहीं सूझ रहा है कि आखिर केंद्र की मोदी सरकार के मुद्दो का तोड़ या हल क्या है।
एक ओर जहाँ मोदी सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे विधेयक व कानून लाती है जिसका असल मुददो से कही कोई लेना देना ही नहीं क्योंकि मोदी सरकार ने यह भांप लिया है कि वह कुछ भी इस देश में करेंगे तो उनको तो कोई कुछ कहने वाला है नहीं वो समझ गए है कि विपक्ष तो वैसे ही नदारद स्थिति में खड़ा है।
साथियों यह तो आप सब जानते होंगे कि कांग्रेस अब कुछ ही राज्यों मे सिमट कर रह गई है और भाजपा लगातार अभिमान मे चूर होकर एक के बाद एक राज्य मे अपनी पकड़ मजबूत बनाकर सरकारे बना रही है ऐसी स्थिति में कांग्रेस के केद्रीय नेतृत्व को हाथ पर हाथ धरकर बैठने से कुछ नहीं होने वाला उनको मैदान में उतरना होगा मगर कांग्रेस का तो केंद्रीय नेतृत्व बिल्कुल शांत नजर आ रहा है।
अभी हाल ही मे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को फाइव स्टार की जिंदगी से बाहर निकलकर जमीन पर उतरना चाहिए और लोगो के बीच मे जाना चाहिए इस पर कांग्रेस के नेताओ ने ही उनपर सवाल खड़े कर दिए उनको ऐसा नहीं करना चाहिए और उनकी सलाह को मानना चाहिए और उसपर विश्लेषण करना चाहिए।
कांग्रेस की दिल्ली मे कमजोर पड़ती हुई स्थिति को फिर से मजबूत बनाने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस का जिम्मा संभाला है कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री लगातार केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर आवाज उठाने का काम करे रहे है चाहे अशोक गहलोत हो या भूपेश बघेल हो या पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हो सबने ने केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े करके उनका विरोध किया है।
राज्यों का बढ़ता दखल: कांग्रेस के प्रातींय नेताओं व मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की नाकामी व असफलता को छुपाने के लिए उनके बचाव में खुद आगे आ रहे है ऐसा हाल के कुछ महीनो में हमे कई बार देखने को मिला है चाहे वह लव जेहाद के मामले मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व भूपेश बघेल के कदमो से मालूम पड़ता है।
उसी प्रकार केंद्र के तीन कृषि कानून बिलो पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कड़ा विरोध करते हुए इसे पंजाब मे न लागू करने की बात कही है इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय जांच ब्योरो ( सीबीआई ) को बिना अनुमति राज्य मे प्रवेश करने के लिए भी कानून बना दिया है। इस कानून के तहत सीबीआई को राज्य सरकार से पहले अनुमति लेनी होगी।
अक्सर कांग्रेस मे पहले होता रहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री सिर्फ राज्य के स्थानीय मुददो पर ही बात करते रहे है मगर अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि उन्होंने भांप लिया है कि अगर आज वह चूप हो गए तो केंद्र की मोदी सरकार उनपर बहुत ही ज्यादा हावी होने लगेगी और कहीं न कहीं गांधी परिवार भी इन सब से नाखुश नहीं है क्योंकि अब उनका बचाव करने के लिए सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री ही बचे है।
गांधी परिवार की नाकामी: एक समय ऐसा था कि जब कांग्रेस का सिक्का पूरे देश में बजता था उसके उलट आज के समय में कांग्रेस का शासन कुछ ही राज्य में सिमट कर रहे गया है इसके पीछे सिर्फ गांधी परिवार का ही हाथ है और किसी का नहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपनी ही दुनिया में खोया नजर आ रहा है राहुल गांधी तो सिर्फ चुनिंदा गिने चुने विषयों पर ही बोलते है उनके निशाने पर तो सिर्फ मोदी व आरएसएस रहता है उनको हर मुददे पर प्रखर रहना चाहिए उनमे लव जेहाद जैसे अनेक मुददे है। इसके अलावा कांग्रेस अभी तक अपना अध्यक्ष तक चुनने में नाकाम रही है। गांधी परिवार चाहता है कि कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार का ही बना रहे और जनता को यह नेतृत्व मंजूर नहीं है अगर गांधी परिवार कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़कर किसी गैर गांधी को अध्यक्ष बना दे तो शायद कांग्रेस का कुछ भला हो सकता है।
कांग्रेस के गांधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस ने दो बार लगातार लोकसभा के चुनाव हार गई है 2014 में कांग्रेस को जहाँ मात्र 44 सीटे मिली वही 2019 के लोकसभा चुनाव मे यह आंकड़ा फिर से 50 सीटो पर ही सिमट कर रहे गया है इसे शीर्ष नेतृत्व की नाकामी ना कहा जाये तो और क्या कहा जाए।
अभी भी शीर्ष नेतृत्व अपनी नाकामी को छुपाने की कोशिश करते है तो शायद कुछ सालों बाद बीजेपी का कांग्रेस मुक्त देश का सपना शायद साकार भी हो जाए इसको कहने मे कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। अगर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व में फेर बदल नहीं होता तो शायद आगे और कांग्रेस की स्थिति खराब हो सकती है।
साथियों कांग्रेस की लाचार व बेबस स्थिति पर आप क्या सोचते है हमें कमेंट करके जरूर बताए और इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ साझा जरूर करे।

साथियों आज के इस पोस्ट में हम आपको कांग्रेस के लाचार केंद्रीय नेतृत्व पर उठते सवाल व उनकी नाकामी को उजागर करेंगे। आज दिल्ली में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व केंद्र सरकार के हर मुददे पर लाचार या बेबस सा नजर आ रहा है गांधी परिवार को यह भी नहीं सूझ रहा है कि आखिर केंद्र की मोदी सरकार के मुद्दो का तोड़ या हल क्या है।
एक ओर जहाँ मोदी सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे विधेयक व कानून लाती है जिसका असल मुददो से कही कोई लेना देना ही नहीं क्योंकि मोदी सरकार ने यह भांप लिया है कि वह कुछ भी इस देश में करेंगे तो उनको तो कोई कुछ कहने वाला है नहीं वो समझ गए है कि विपक्ष तो वैसे ही नदारद स्थिति में खड़ा है।
साथियों यह तो आप सब जानते होंगे कि कांग्रेस अब कुछ ही राज्यों मे सिमट कर रह गई है और भाजपा लगातार अभिमान मे चूर होकर एक के बाद एक राज्य मे अपनी पकड़ मजबूत बनाकर सरकारे बना रही है ऐसी स्थिति में कांग्रेस के केद्रीय नेतृत्व को हाथ पर हाथ धरकर बैठने से कुछ नहीं होने वाला उनको मैदान में उतरना होगा मगर कांग्रेस का तो केंद्रीय नेतृत्व बिल्कुल शांत नजर आ रहा है।
अभी हाल ही मे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को फाइव स्टार की जिंदगी से बाहर निकलकर जमीन पर उतरना चाहिए और लोगो के बीच मे जाना चाहिए इस पर कांग्रेस के नेताओ ने ही उनपर सवाल खड़े कर दिए उनको ऐसा नहीं करना चाहिए और उनकी सलाह को मानना चाहिए और उसपर विश्लेषण करना चाहिए।
कांग्रेस की दिल्ली मे कमजोर पड़ती हुई स्थिति को फिर से मजबूत बनाने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस का जिम्मा संभाला है कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री लगातार केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर आवाज उठाने का काम करे रहे है चाहे अशोक गहलोत हो या भूपेश बघेल हो या पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हो सबने ने केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े करके उनका विरोध किया है।

राज्यों का बढ़ता दखल:

कांग्रेस के प्रातींय नेताओं व मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की नाकामी व असफलता को छुपाने के लिए उनके बचाव में खुद आगे आ रहे है ऐसा हाल के कुछ महीनो में हमे कई बार देखने को मिला है चाहे वह लव जेहाद के मामले मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व भूपेश बघेल के कदमो से मालूम पड़ता है।
उसी प्रकार केंद्र के तीन कृषि कानून बिलो पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कड़ा विरोध करते हुए इसे पंजाब मे न लागू करने की बात कही है इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय जांच ब्योरो ( सीबीआई ) को बिना अनुमति राज्य मे प्रवेश करने के लिए भी कानून बना दिया है। इस कानून के तहत सीबीआई को राज्य सरकार से पहले अनुमति लेनी होगी।
अक्सर कांग्रेस मे पहले होता रहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री सिर्फ राज्य के स्थानीय मुददो पर ही बात करते रहे है मगर अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि उन्होंने भांप लिया है कि अगर आज वह चूप हो गए तो केंद्र की मोदी सरकार उनपर बहुत ही ज्यादा हावी होने लगेगी और कहीं न कहीं गांधी परिवार भी इन सब से नाखुश नहीं है क्योंकि अब उनका बचाव करने के लिए सिर्फ राज्य के मुख्यमंत्री ही बचे है।

गांधी परिवार की नाकामी:

एक समय ऐसा था कि जब कांग्रेस का सिक्का पूरे देश में बजता था उसके उलट आज के समय में कांग्रेस का शासन कुछ ही राज्य में सिमट कर रहे गया है इसके पीछे सिर्फ गांधी परिवार का ही हाथ है और किसी का नहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपनी ही दुनिया में खोया नजर आ रहा है राहुल गांधी तो सिर्फ चुनिंदा गिने चुने विषयों पर ही बोलते है उनके निशाने पर तो सिर्फ मोदी व आरएसएस रहता है उनको हर मुददे पर प्रखर रहना चाहिए उनमे लव जेहाद जैसे अनेक मुददे है। इसके अलावा कांग्रेस अभी तक अपना अध्यक्ष तक चुनने में नाकाम रही है। गांधी परिवार चाहता है कि कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार का ही बना रहे और जनता को यह नेतृत्व मंजूर नहीं है अगर गांधी परिवार कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़कर किसी गैर गांधी को अध्यक्ष बना दे तो शायद कांग्रेस का कुछ भला हो सकता है।
कांग्रेस के गांधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस ने दो बार लगातार लोकसभा के चुनाव हार गई है 2014 में कांग्रेस को जहाँ मात्र 44 सीटे मिली वही 2019 के लोकसभा चुनाव मे यह आंकड़ा फिर से 50 सीटो पर ही सिमट कर रहे गया है इसे शीर्ष नेतृत्व की नाकामी ना कहा जाये तो और क्या कहा जाए।
अभी भी शीर्ष नेतृत्व अपनी नाकामी को छुपाने की कोशिश करते है तो शायद कुछ सालों बाद बीजेपी का कांग्रेस मुक्त देश का सपना शायद साकार भी हो जाए इसको कहने मे कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। अगर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व में फेर बदल नहीं होता तो शायद आगे और कांग्रेस की स्थिति खराब हो सकती है।
साथियों कांग्रेस की लाचार व बेबस स्थिति पर आप क्या सोचते है हमें कमेंट करके जरूर बताए और इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ साझा जरूर करे।

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