नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम बेवरेज कंपनी Coca Cola (कोका-कोला) की सफलता की कहानी जानेंगे।
कब बनी | 1892 |
मार्केट कैप | 22 लाख करोड़ रुपए |
ट्रेड सीक्रेट तिजोरी में,2.1 अरब बोतलों की रोज बिक्री, प्रदूषण में भी नंबर वन
दुनिया की नंबर एक सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका-कोला पिछले 136 सालों से एक ही फार्मूले से काम कर रही है। इस सदी में खाने-पीने की आदतें बदली, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई। लेकिन कोका-कोला की ड्रिंक्स का बाजार अप्रभावित ही रहा। हद से ज्यादा चीनी के इस्तेमाल पर कई सेलिब्रिटीज ने सार्वजनिक रूप से इसका बायकॉट भी किया। बीते साल रोनाल्डो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से इसकी बोतलें हटा दी थीं। हालांकि विवादों के बीच अब कंपनी ऐडेड शुगर कम कर रही है और कुछ उत्पाद जीरो शुगर नाम से भी प्रमोट किए जा रहे हैं। बहरहाल 700 अरब डॉलर के सॉफ्ट ड्रिंक के इस बाजार में कोका-कोला के मालिक बदलते रहे, लेकिन यह एक सदी से इस बाजार पर राज कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों से ज्यादा में भी कोका-कोला बिक रही है। सिर्फ उत्तर कोरिया और क्यूबा में यह बैन है। फिलहाल 57 साल के जेम्स किवंसी कोका-कोला के 2017 से सीईओ है।
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इतिहास :
कोका-कोला की खोज 1886 में हुई थी। फार्मिस्ट जॉन पेम्बर्टन ने अपनी लैब में एक तरल पदार्थ तैयार किया था। इसमें सोडे वाला पानी मिला था। जॉन ने वहां खड़े कुछ लोगों को इसे चखवाया। सभी को यह नई ड्रिंक बहुत पसंद आई। जॉन ने इसे बेचना शुरू कर दिया, दाम रखा 5 सेंट। जॉन के ही सहयोगी फ्रैंक रॉबिनसन ने इसे कोका-कोला नाम दिया। तब से यह आज तक इसी कोका-कोला नाम से जाना जाता है। कोक का सीक्रेट फार्मूला 1888 में जॉन ने बिजनेसमैन एसा ग्रिग्स कैंडलर को बेच दिया था, एसा ने इसकी ब्रांडिंग की और फिर 1892 में कोका-कोला कंपनी की स्थापना की। तीन दशकों बाद अर्नेस्ट वुडरुफ के नेतृत्व में बिजनेसमैन के समूह ने 25 मिलीयन डॉलर में कंपनी खरीद ली और कंपनी को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर कराया। अर्नेस्ट के बेटे रॉबर्ट बुडरूफ 1985 लगभग 62 साल कंपनी के प्रेसिडेंट रहे।
सिरप बनाती है कंपनी :
कोका-कोला 200 से ज्यादा ड्रिंक्स के लिए सिरप कंसन्ट्रेट यानी एक सांद्रीक्रत गाढा तरल कहे सकते हैं। कोका-कोला का यही कंसन्ट्रेट और सीरप एक सीक्रेट है, इसका उत्पादन किस तरह और कहां होता हैं, यह पिछले 136 सालों से राज है। कंपनी का सारा मुनाफा इसी कंसन्ट्रेट और सीरप से आता है। कोक इस कंसन्ट्रेट व सीरप को अधिकृत बॉटलिंग पार्टनर्स को बेचती है। फिर वे इसमें स्पार्कलिंग वॉटर और स्टिल मिलाने के अलावा ड्रिंक्स की जरूरत के मुताबिक उसमें स्वीटनर मिलाकर इसे पैकेजिंग के लिए भेज देते हैं। कोक के उत्पादों मे ट्रेड मार्क कोका-कोला के तहत कोक, स्पार्कलिंग फ्लेवर्स में फेंटा, स्प्राइट, थम्स अप आदि के अलावा हाइड्रेशन, स्पोर्ट्स, कॉफी-इमरजिंग बेवरेजस में एल्कोहोलिक ड्रिंक्स भी शामिल हैं। कोका-कोला की सारी ड्रिंक्स का टेस्ट दुनिया के हर कौने में एक सा है।
विवाद :
उत्पाद से लेकर कोका-कोला की ब्रांडिंग और विज्ञापन भी विवादों में रहे। इसमें कभी कोकीन भी मिलाया जाता था, विवाद सामने आने के बाद कोकीन के पौधे का कुछ हिस्सा मिलाया जाने लगा। प्लास्टिक प्रदूषण (सिंगल लार्जेस्ट प्लास्टिक पोल्यूटर) फैलाने के मामले में भी कोका-कोला दुनिया में नंबर वन है। इसके उत्पादन में पानी के बेजा इस्तेमाल को लेकर भी विवाद खड़े हुए। मार्च 2004 में केरल में कोक बॉटलिंग प्लांट यह कहकर बंद करवा दिया गया था की इससे पानी खराब हो रहा है और जलस्तर भी गिरा है। बाद में केरल हाई कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया था। कोका-कोला की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक एक लीटर ड्रिंक बनाने में अब 1.8 लीटर पानी खर्च हो रहा है और 2010 के मुकाबले पानी के वेस्टेज में 20 फीसदी की कमी आई है। किसके अलावा इसने स्प्राइट की हरी बोतलें भी हटाने का निर्णय लिया है।
कोक म्यूजियम:
- अमेरिका के अटलांटा स्थित वर्ल्ड ऑफ कोका-कोला म्यूजियम में बनी इस तिजोरी में कोक का फार्मूला सुरक्षित रखा गया है। 2011 में इसे यहां लाया गया, इससे पहले 86 साल तक यह सन ट्रस्ट बैंक के पास सीक्रेट था, बदले में इसे 48.3 मिलियन शेयर्स दिए गए थे। हर साल हजारों लोग इस म्यूजियम को देखने के लिए आते हैं।
- 200+से ज्यादा देशों में कोक बिकती है
- 200 से ज्यादा ब्रांड्स है
- 225 बॉटलिंग पार्टनर दुनियाभर में
- 900 बॉटलिंग प्लांट है
- 1.81 लीटर पानी लगता है 1 लीटर ड्रिंक बनाने में
- 2.1 अरब बोतलें रोज सेल होती है
- 79 हजार लोग कंपनी में काम करते हैं
