दोस्तों आपने देखा ही होगा की हमारे देश में पिछले कुछ सालों से आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, और वाॅकल फाॅर लोकल जैसे Concept काफी चर्चा में है लेकिन हम आपकों बता दे की यह सभी ट्रेंड हमारे भारत के लिए नए नही बल्कि हमारे यहां इस तरह के कैम्पेन की शुरूआत अंग्रेजों के जमाने से ही शुरू हो गई थी दरअसल हमारा देश जब अंग्रेजों की गुलामी में था तब भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत-सी छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियों ने कई कैम्पेन चलाए थे और उन्हीं कंपनियों में एक थी बोरोनिल, जिसकी सफलता की कहानी और भारत की स्वतंत्रता में निभाए गए योगदान के बारे में हम आपकों आज बताएंगे।
इतिहास
साथियों बोरोनिल हमारे देश में मिलने वाली एक ऐसी प्रसिद्ध एंटी सेफ्टी क्रीम है जिसे की आपमे से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी तो इस्तेमाल किया ही होगा और कभी उपयोग मे ना भी लिया है तो इसका नाम तो आपने जरूर ही सुना होगा। दरअसल यह क्रीम भारत में पिछले 92 वें सालों से बेची जा रही है और इसकी सबसे बड़ी खूबी यही है की इतना समय बित जाने के बाद भी इसकी गुणवता में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही देखने में आई है।
सबसे पहले हम जानते है की बोरोनिल के भारतीय बाजार में आने की पूरी कहानी, यह बात है 20वीं सदी के शुरूआत की जब हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था उस समय देश के अंग्रेजों के खिलाफ कई अलग-अलग तरह के आंदोलन शुरू हो रहे थे और तभी देश में स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत हुई थी इस आंदोलन के जरिए लोगों ने यह तय किया की वह अंग्रेजों के विदेशी सामान का बहिष्कार करेंगे और सिर्फ भारत में बनी हुई चीजों का ही इस्तेमाल करेंगे और दोस्तों यह आंदोलन ठीक वैसे ही था जैसे अभी कुछ समय पहले हमारे देश में चाइना के सामान का बहिष्कार हुआ था, असल में उस समय अंग्रेज क्या करते थे की वह हमारे देश में आकर देश के लोगों से सस्ती मजदूरी करवाते थे और फिर सारा कच्चा माल एक्सपाॅर्ट करके अपने देश में भेज दिया करते थे इसके बाद वह उस कच्चे माल से production करके उन प्रोडक्ट को ही हमारे भारत में लोगों को महंगे दामों में बेचते थे अब उस समय भारत के अंदर स्वदेषी कंपनियां लगभग ना के बरामर हुआ करती थी ऐसे में आंदोलन तभी सफल हो सकता था जब भारत के व्यापारी खुद चीजों को बनाने की शुरूआत करते और दोस्तो इसलिए उस समय भारत में बहुत से छोटे-मोटे व्यापारियों ने अलग-अलग तरह की चीजों को बनाने के प्रयास शुरू कर दिए।
उन्हीं व्यापारियों में एक थे गौरमोहन दत्ता जिन्होंने उस समय भारत की पहली स्वदेशी एंटी सेफ्टी क्रीम बनाने का इरादा किया असल में गोरमोहन दत्ता बंगाल के रहने वाले एक मर्चेंट थे जो की दूसरे देशो से कोस्टमैटिक प्रोडक्ट इंपोर्ट करके भारत के अंदर बेचा करते थे और भारत में जब स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ तो फिर गोरमोहन दत्ता का भी मन हुआ की वह भी इस आंदोलन में अपना योगदान दे।
अब दोस्तों आंदोलन में भी दो तरह से योगदान दिया जा सकता था जिसमें पहला तो यह की वह भारत का झंडा लेकर सड़कों पर उतर जाएं और अंग्रेजों का मुकाबला करें।
और दूसरा तरीका यह था की वह भारत आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास करते अब चुंकि गोरमोहन दत्ता एक व्यापारी थे इसीलिए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता में अपना योगदान देने के लिए दूसरे तरीके यानि की भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने को चुना और यही इरादा मन में लेकर उन्होंने साल 1929 में कोलकता शहर के अंदर G.d. Pharmaceuticals नामक अपनी एक कंपनी स्थापित कर दी और भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी एंटी-सेफ्टी क्रीम बनाने का काम शुरू कर दिया और दोस्तों इस तरह से गोरमोहन दत्ता ने बोरोनिल नामक वो क्रीम बनाई जिसे आज भी भारत के लाखों-करोड़ों लोग इस्तेमाल करते है।
बोरोनिल का मतलब
यह क्रीम बोरिक एसिड जिंक आॅक्साइड और लेनोलिन के मिश्रण से बनाई गई थी और यही वजह थी की इसको बोरोनिल की नाम दिया गया। जहां पर बोरो का मतलब बोरिक एसिड और लिंन का मतलब तेल होता है।

अब शुरूआत में गोरमोहन दत्ता और उनका पूरा परिवार रात के समय में क्रीम बनाने का काम किया करते थे और दिन में गोरमोहन दत्ता कोलकता के बुर्रा बाजार में अपनी दुकान के माध्यम से इसको बेचा करते थे और दोस्तों इस तरह से धीरे-धीरे यह क्रीम लोगों की नजरों में आने लगी और कुछ ही समय में यह बंगाल के अंदर काफी लोकप्रिय हो गई तो फिर अंग्रेजों ने इसकी बिक्री रोकने की भी कोशिशे की लेकिन वो चाहकर भी इस क्रीम को लोगों तक पहुचने से नही रोक पाए।
असल में एक तो उस समय स्वदेशी आंदोलन चल रहा था जिसकी वजह से बहुत से लोगों ने इस क्रीम के मार्केट में आते ही इसको तुरंत अपना लिया इसके अलावा बोरोनिल की गुणवता भी इतनी जबरदस्त थी की सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के बाद लोग इसे छोड़ नही पाते थे असल में यह एक ऐसी मल्टी प्रपज क्रीम है जो ना सिर्फ skin को कोमल बनाती है बल्कि फटी एड़ियो, skin infection , फटे होठ, और छोटी-मोटी चोट व खरोंच आदि के लिए भी काफी कारगर साबित होती है और इतना ही नही इस क्रीम को सन्स क्रीम के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है अब जब एक ही क्रीम में इतने सारे फायदे मिल रहे थे तो लोग भला इसे क्यों नही खरीदते और यही वजह रही की शुरूआती दिनों में बंगाल के अंदर बोरोनिल बहुत ही ज्यादा खरीदी गई और वहां पर यह लगभग हर एक घर में इस्तेमाल की जाने लगी।
अब बोरोनिल से पहले भारतीय बाजार में सिर्फ विदेशी क्रीम ही मिला करती थी इसीलिए मजबूरी में सभी लोग वो क्रीम ही इस्तेामाल करनी पड़ती थी, लेकिन बोरोनिल ने आते ही सभी विदेशी क्रीम को बाजार से बाहर का रास्ता दिखा दिया और साथियो एक तरह से देखे तो यह क्रीम अपने आप में एक फ्रीडम फायटर्स की तरह उभर के सामने आई जो की उस समय अंग्रेजों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रही थी अब वैसे तो बोरोनिल बंगाल में काफी लोकप्रिय हो चुकी थी लेकिन पूरे भारत के अंदर राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार 15 अगस्त 1947 यानि की आजादी के दिन पहचान मिली।
दरअसल आजादी मिलने की खुशी में कंपनी के द्वारा पूरे देश में एक लाख बोरोनिल मुफ्त में बांटी गई। असल में गोरमोहन दत्ता को विज्ञापन की ताकत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था और वह जानते थे कि 1 लाख ट्यूब इस तरह से मुफ्त बांटना उनके लिए नुकसान दायक नही बल्कि फायदेमंद ही साबित होगा। और जैसा उन्होने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ क्योकि इस विज्ञापन के बाद से बोरोनिल की चर्चा पूरे देश में होने लगी और इस लोकप्रियता का फायदा उठाकर कंपनी ने क्रीम का production भी बढ़ा दिया और इसे अब बंगाल के साथ ही पूरे देश में पहुंचाना शुरू कर दिया गया।
बोरोनिल की जबरदस्त गुणवता, सस्ता दाम, और मेड इन इंडिया टेग लोगों को भा गया जिसके चलते यह क्रीम पूरे देश के अंदर बेहद तेज रफ्तार से फलने लगी इसके साथ ही कंपनी ने विज्ञापन और मार्कटिंग पर ध्यान देना शुरू कर दिया और वह देश में होने वाले अलग-अलग त्योहार, खेल टूर्नामेंटों में भी स्पाॅन्सर करने लगी साथ ही टीवी, रेडियों, अखबारों में भी बोरोनिल के खूब विज्ञापन करवाये गए जिसके चलते कुछ समय बाद ही पूरे देश में इस्तेमाल की जाने वाली क्रीम बन गई।
यहां तक की 1980 में जहां कंपनी की कुल बिक्री का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा सिर्फ बंगाल से आया करता था वही साल 2000 आते-आते यह आंकड़ा पूरी तरह से उल्टा हो गया यानि कंपनी की कुल बिक्री का बंगाल का हिस्सा सिर्फ 35-40 प्रतिशत के बीच में ही रह गया और बाकि की 65 प्रतिशत बिक्री देश बाकि राज्यों में होने लगी थी।
हालांकि साल 2000 के बाद से भारतीय बाजार में बहुत सी अलग-अलग कंपनियों की एंट्री होनी शुरू हो गई जिन्होंने बाजार में अपनी अलग-अलग तरह की क्रीम्स को लाँच किया और इन क्रीम्स की आने की वजह से मार्कट में काॅम्पिटीशन काफी ज्यादा बढ गया।
सफलता
दोस्तों बाजार में बने रहने के लिए जीडी फार्मास्यूटिकल को बोरोनिल के अलावा अपने कुछ दूसरे प्रोडक्ट भी लाँच करने पड़े। अब आज के समय भारतीय बाजार के अंदर कुल 6 प्रोडक्ट बेचती है जिसमे बोरोनिल के अलावा Suthol, Penorub, Saffron Face Wash, Eleen, No PRIX है।
अब कंपनी के परफाॅमेंस की बात करे तो यह साल दर साल बेहतर होती हुई नजर आ रही दरअसल 2013 में जहां इस कंपनी रेवन्यू 113 करोड़ आसपास था व 2016 में 150 करोड़ और 2019 में 160 करोड़ को पार कर चुका है।
इन आंकड़ो को देखने के बाद से यह बात तो साफ हो जाती है की यह कंपनी समय के साथ लगातार ग्रो कर रही है।
अब आपने देखा ही होगा इस कंपनी प्रोडक्ट पर लोगो के रूप में हाथी छपा हुआ नजर आता है असल में यह हाथी इस ब्रांड की स्थिरता को दर्शाता है और जिस तरह से कंपनी ने पिछले 92 सालों से बोरोनिल की गुणवता को एक जैसा बनाकर रखा है उसे देखकर पता चलता है की कंपनी ने स्थिरता के अपने वादे को कितनी बखूबी निभाया है और दोस्तों देखा जाए तो बोरोनिल की स्थिरता ही सबसे बड़ी वजह है की इतना समय बीत जाने के बाद भी यह क्रीम देश भर में इस्तेमाल की जा रही है।