BOAT Success Story In Hindi | बोट सफलता की कहानी |

नमस्कार साथियों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे, हर मिनट 10 पीस की सेल, वियरेबल बनाने वाली दुनिया की टाॅप-5 कंपनियों में शुमार बोट (ऑडियो ब्रांड) कंपनी की सफलता की कहानी।
‘बेबी को बेस पसंद है…’ ये फिल्म सुल्तान का गाना है, फिल्म भले 2016 में आई हो, लेकिन बेस पसंद वाली बात का बोट के अमन और समीर 2014 में ही भांप गए थे, अमन कहते हैं कि ढोल-तबले की थाप हमारे कल्चर में है, भारतीय बाजार में मौजूद हियरेबल्स में बेस नहीं था, इसी कमी को दूर करते हुए बोट ने अपनी जगह बनाई, कंपनी अपनी स्थापना के शुरूआती साल से मुनाफे में है, पिछले वित्तीय वर्ष में 450 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ मुनाफा बढ़ रहा है, बोट हर दिन 15 से 16 हजार यूनिट्स बेचती है, यानी हर मिनट 10 यूनिट बिक जाती हैं, हेडफोन्स से शुरू हुई कंपनी अब ऑडियो, वियरेबल्स, मोबाइल-गेमिंग एक्सेसरीज, पर्सनल केयर के बिजनेस में भी है, इस साल 3500 करोड़ रूपए जुटाने के इरादे से आईपीओ लाने की योजना है।

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शुरूआती सफर:

दिल्ली के अमन, मुबंई के समीर 2014 में मिले, दो साल ऑडियो मार्केट पर रिसर्च की, फिर 2016 में कंपनी शुरू की, ‘हाउस ऑफ़ मारले’ नाम की ऑडियो-साउंड कंपनी के उत्पाद भारत में डिस्ट्रीब्यूट किए, ताकि इस मार्केट को बेहतर तरीके से समझ सकें, इस कंपनी के मैनेजर ने ही अमन-समीर को मिलाया था।

भारतीय ‘बेस’ की समझ:

मार्केट गैप को समझा, हैडफोन्स की केबल उलझ जाती थीं, बोट ने टेंगल फ्री केबल बनाई, केबल लंबी की ताकि फोन जेब में रखकर भी बात कर सकें, प्लास्टिक के बजाय मैटलिक ईयरफोन बनाए, भारतीयों को बेस (धमक) के साथ गाने सुनना पसंद हैं, इसलिए इलेक्ट्राॅनिक डांस म्यूजिक पर केंद्रित हेडफोन्स में बेस दिया, शुरूआती उत्पाद ‘बोट बेस हेड्स 225’ था, यह आज भी अच्छी-खासी संख्या में बिकता है।

बोट का क्रेज:

बोट की पंचलाइन ‘यंग एंड वाइल्ड’ है, बोट ब्रांडिंग में ड्यूरेबल, अफोर्डेबल, अल्ट्रा फैशनेबल शब्द इस्तेमाल करता है, टारगेट ग्राहक 18 से 24 की उम्र के हैं, कंपनी शुरू की, तो अमन 35, समीर 40 साल के थे, ग्राहकों को समझने के लिए युवा इंटर्न रखे, उनकी भाषा-भावनाऐ समझी, बोट(नाव) नाम के पीछे तर्क था, जैसे नाव की सवारी में इंसान बाहरी दुनिया से कट जाता है, वैसे ही हैडफोन्स अलग दुनिया में ले जाते हैं।

बोट का प्रतिद्धंदी:

2016 में हैडफोन्स जैसे हियरेबल्स के बिजनेस में 200 से ज्यादा ब्रांड मौजूद थे, चीनी-जापानी ब्रांड का दबदबा था, लोगों ने समझाया कि ऐसे में ‘बोट’ अपनी जगह कैसे बनाएगी, बोट पुरानी बिजनेस कैटेगरी और बिना किसी खास इनोवेशन के बाजार में उतरी, अमन के अनुसार उनके एग्जीक्यूशन ने बोट की जगह बनाई।

को-फाउंडर:

अमन गुप्ता व समीर मेहता
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साल के अमन कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ माकेंटिंग ऑफिसर हैं, सेल्स एक्सपर्ट हैं, देश के सबसे यंग सीए में से एक अमन ने इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस से एमबीए किया, पहला बिजनेस पिता के साथ मिलकर किया, शुरूआती तीन बिजनेस में असफल रहे, जेबीएल के साथ भी काम किया।
46 साल के समीर चेयरमैन, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर हैं, नरसी मोंजी काॅलेज ऑफ़ काॅमर्स से बीकाॅम करने के बाद समीर ने रेडवुड इंटरेक्टिव नाम की कंपनी शुरू की, इसके बाद कोरेस इंडिया नाम की कंपनी के साथ 16 साल काम किया, बोट कंपनी में 40 फीसदी हिस्सेदारी है।

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