नमस्कार साथियों आज के इस पोस्ट में हम लग्जरी व्हीकल कंपनी BMW की सफलता की कहानी जानेंगे।
कब बनी | मार्च 1916 |
बाजार | 6 लाख करोड़ रूपए |
BMW (बावेरियन मोटर वक्र्स) कारों के बारे में कभी कहा जाता था कि दुनिया की बाकी कंपनियां कारों की इंजीनिरिंग समझने के लिए BMW की गाड़ियों की स्टडी करती थीं। अपने 107 सालों के इतिहास में लग्जरी का पर्याय बन चुकी यह जर्मन कंपनी कभी एयरक्राफ्ट के इंजिन बनाती थी, लेकिन द्वितीय विष्वयुद्ध में कंपनी की फैक्ट्रियों पर बमबारी हुई और कई प्रतिबंध लगे, जिसके चलते यह सक्रिय रूप से मोटरसाइकिल और कार सेगमेंट में उतर आई। अगर द्वितीय विष्वयुद्ध में जर्मनी की हार नहीं होती, तो बीएमडब्ल्यू शायद एयरक्राफ्ट इंजिन पर ही ध्यान दे रही होती। एक समय ऐसा था जब BMW ने सर्वाइव करने के लिए किचन की एक्सेरीज भी बनाना शुरू कर दिया था।
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इतिहास:
BMW की स्थापना जर्मनी के म्यनिख में प्रथम विष्वयुद्ध के दौरान 16 मार्च 1916 को हुई थी। हालांकि इसके अतीत में एक और कंपनी थी। साल 1910 में एयरक्राफ्ट डिजाइनर गुस्ताव ओट्टो ने ‘ओट्टो…’ नाम से कंपनी बनाई थी। यह साल 1916 में दिवालिया हो गई और इसने अपना नाम बदलकर BMW कर लिया। वहीं साली 1913 में कार्ल रैप ने ‘रैप मोटरइनवर्के’ नाम की एक अलग कंपनी बनाई थी। ओट्टो के BMW नाम करते ही रैप ने भी नाम बदलकर बावेरियन मोटर वक्र्स जीएमबीएच कर लिया। प्रथम विष्वयुद्ध की समाप्ति के साथ वर्साय संधिक हुई, जिसके बाद बावेरियन मोटर ने एयरक्राफ्ट इंजिन बनाना बंद कर दिया।
साल 1922 मे कामिलो केस्टिगिलोनी ने BMW कंपनी को खरीद लिया। कार्ल रैप, कामिलो के अलावा फ्रांज जोसेफ पाॅप भी BMW के फाउंडर्स माने जाते हैं।
अतीत:
साल 1923 में BMW ने मोटरसाइकिल बनाना शुरू किया। अपनी पहले मोटरसाइकिल का नाम रखा BMW आर32। इसके बाद कंपनी ने कार बनाना शुरू किया। इस बीच 1939 में द्वितीय विष्वयुद्ध शुरू हो गया और कंपनी ने अपना सारा उत्पादन रोककर 40 हजार बंधुआ मजदूरों का इस्तेमाल करते हुए नाजी फाइटर्स प्लेन के लिए इंजिन बनाना शुरू कर दिया। बीएमडब्ल्यू के इंजिन की बदौलत जर्मनी की सेना ने ब्रिटेन और फ्रांस की सेना पर बढत हासिल कर ली थी। युद्ध के दौरान BMW की फैक्ट्रियों पर भी बमबारी हुई और बची हुई पष्चिमी जर्मनी की फैक्ट्री पर मोटरसाइकिल या एयरक्राफ्ट के उत्पादन पर प्रतिबंध लग गया।
मार्च 2016 में BMW की स्थापना के सौ वर्ष पूरे हुए थ। इस दौरान कंपनी ने वक्तव्य जारी करके द्वितीय विष्वयुद्ध में अपनी भूमिका और नाजियों को मदद के अलावा बंधुआ मजदूरों पर माफी मांगी थी।
बिजनेस:
BMW का मुख्य बिजनेस BMW, मिनी, राॅल्स राॅयस, बीएमडब्ल्यू मोटररेड से आता है। इसमे सर्वाधिक राजस्व BMW से आता है। इसके अलावा कंपनी फाइनेंशियल सर्विसेज भी देती है। BMW ने 1994 में ब्रिटिश व्हीकल कंपनी रोवर का अधिग्रहण किया था। रोवर ही मिनी कार का उत्पादन करती थी। अधिग्रहरण से पहले कंपनी ऑस्टिन मिनी और माॅरिस मिनी नाम से कारें बना रही थी। कंपनी ने साल 1998 में ब्रिटिश कंपनी राॅल्स राॅयस का भी अधिग्रहरण किया था। हालांकि शुरुआत में इसके कुछ हिस्से के अधिग्रहण की बात हुई थी। बाद में मामला कोर्ट में गया और 2002 के अंत में राॅल्स रायस का पूरा स्वामित्व BMW के पास आ गया।
BMW ने 1997 में हीरो ग्रुप के साथ संयुक्त उपक्रम में भारत में आने की पेशकश की, पर बात नहीं बनी। बाद में 2007 में भारत में कामकाज शुरु किया। कंपनी का भारत में रेवेन्यू (2022) 4365 करोड़ से अधिक का रहा है।
BMW का बाजार:
- 13 प्रतिशत शेयर BMW का अमेरिका के लग्जरी कार मार्केट में।
- 37 की ग्रोथ हुई है भारतीय बाजार में कपनी की साल 2022 में।
- 1.50 लाख लोग काम करते हैं कंपनी के दुनियाभर में।
- 31 Prodaction और असेंबली प्लांट हैं कंपनी के दुनियाभर में।
रोचक तथ्य:
द्वितीय विष्वयुद्ध का दौर जर्मनी की सारी कंपनियों के लिए उथल-पुथल भरा रहा। बीएमडब्ल्यू भी इससे नहीं बच पाई। प्रतिबंधों के कारण कंपनी के पास करने को कुछ नहीं था, ऐसे में साल 1945 से 47 के बीच बीएमडब्ल्यू ने किचन से जुड़े बर्तन व उपकरण जैसे पैन, पाॅट्स् के अलावा साइकिल, कृषि उपकरण भी बनाना शुरू कर दिए। दो साल में कपंनी ने 34 हजार पाॅट्स बनाए। कंपनी का एक तिहाई रेवेन्यू इसी के जरिए आया। उस समय कंपनी का मुनाफा इतना नहीं था, ऐसे में कामगारों को 8 घंटे में बनाई चीजों के हिसाब से पैसे दिए जाते थे।