Airtel Success Story | एयरटेल सफलता की कहानी | 1997-2023

नमस्कार साथियों, आज के इस पोस्ट में हम टेलीकम्युनिकेशन कंपनी एयरटेल की सफलता की कहानी जानेंगे।

स्थापना1997
रेवेन्यू1.16 लाख करोड़(मीडिया रिपोट्र्स)

देश में 27 साल पहले मोबाइल संचार सेवा शुरू हुई थी। उदारीकरण के बाद सरकार ने टेलीकाॅम नीति 1994 बनाई और विदेशी सहयोगियों के साथ मिलकर कुल आठ कंपनियों ने भारत में सेवाएं देना शुरू की। लेकिन भारती एयरटेल को छोड़कर बाकी कंपनियां प्रतिस्पर्धा में ठीक से टिक नहीं पाई। एयरटेल के संस्थापक सुनील भारती मित्तल के अनुसार शुरूआत से उद्देष्य टेलीकाॅम सेक्टर के एकाधिकार को खत्म करना था। इन दिनों एयरटेल खबरों में है क्योंकि इसने देश के 17 शहरों में 5जी सेवा प्रारंभ कर दी है। देश की सबसे बड़ी टेलीकाॅम ऑपरेटर जियों ने भी 5जी सेवा शुरू कर दी है। एयरटेल की ब्राॅडिंग और एड कैंपेन भी हमेशा से चर्चा में रहे हैं।

शुरूआत:

सुनील भारती मित्तल 90 के दशक में कई बिजनेस में हाथ आजमा चुके थे। पंजाब के रहने वाले मित्तल के पिता सांसद भी रहे। मित्तल बीटल नामक पुश बटन फोन को ताइवान से आयात कर रहे थे, उस वक्त देश में डायल घुमाने वाले लैंडलाइन फोन हुआ करता था। टेलीफोन के अनुभव का उन्हें फायदा मिला। सरकार ने जब लाइसेंसिंग प्रक्रिया शुरू की, तो लक्ष्मी मित्तल ने भारती टेली वेंचर्स नाम से कंपनी शुरू की। अप्रैल 2006 में कंपनी का नाम बदलकर भारती एयरटेल लिमिटेड हो गया। सिंगापुर की सिंगटेल और एयरटेल करीब दो दशकों से साझेदार हैं। हाल ही में सुनील मित्तल ने एयरटेल में 3.3 प्रतिशत हिस्सेदारी और बढ़ा दी है। अब मित्तल परिवार की एयरटेल में हिस्सेदारी 23.88 से बढ़कर 25.56 फीसदी हो जाएगी। वहीं सिंगटेल की हिस्सेदारी घटकर 29.7 हो जाएगी।

इनोवेशन:

एयरटेल हमेशा से इनोवेशन और प्रयोग करने में आगे रही है। कंपनी ने हाल ही देश में पहली बार मेटावर्स में मल्टीप्लेक्स लांच किया है। इसके अलावा रिजर्व बैंक के अप्रूवल के बाद कोटक महिन्द्र बैंक की 20 प्रतिशत भागीदारी के साथ पेमेंट्स सर्विस भी शुरू की है। हालांकि कंपनी कभी-कभी विवादों से भी चर्चा में रही है। 5जीं स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद एयरटेल समेत देश की कई टेलीकाॅम कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड़ रूपये का एजीआर बकाया था। हालांकि एयरटेल ने 4 सालों का इंस्टालमेंट इस साल एडवांस में भर दिया हैं एयरटेल में गूगल के निवेश की भी चर्चा थी। चर्चा थी कि गूगल एयरटेल में 1 अरब डाॅलर का निवेश करेगा। हालांकि इसको लेकर भी स्पष्टता नहीं है।

रोचक तथ्य:

लाइसेंसिंग की प्रक्रिया में भारती एयरटेल को मुंबई सर्किल मिला, लेकिन टाटा ने इसे कोर्ट में चुनौती दे दी । बाद में फैसला पलटा और एयरटेल को दिल्ली लाइसेंस मिला। हालांकि सुनील मित्तल ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके लिए यह फैसला अच्छा साबित हुआ था।, क्योंकि पंजाब से ताल्लुक रखने के कारण वह दिल्ली को बेहतर तरीके से समझते थे। एयरटेल के शुरूआती चार साल कस्टमर बेस पूरी तरह से पोस्ट पेड था। 90 के दशक आखिर में प्री-पेड कस्टमर जुड़ना शुरू हुई। एयरटेल की मार्केटिंग टीम ने प्री-पेड वर्जन को ‘मैजिक’ नाम दिया। यह अलग ब्रांड बनाने से लोकप्रियता पर असर पड़ा और फैसला वापस लेना पड़ा। सुनील मित्तल के भाई राजन भारती मित्तल ने एसएमएस शुरू की, उसके बाद यह ट्रेंड में आ गई।
एयरटेल की पहली औपचारिक फोन काॅल: 27 सितंबर 1995 को एयरटेल के नेटवर्क पर पहली बार औपचारिक फोन काॅल हुआ था। यह वार्ता राज्यमंत्री पीजी कुरियन और संचार मंत्री सुख राम के बीच हुई थी। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक पहली काॅल 31 जुलाई 1965 को मोदी टेल्स्ट्रा नेटवर्क में पष्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु और संचार मंत्री सुखराम के बीच हुई थी।

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एयरटेल का कस्टमर बेस:

  • 2 नंबर पर है भारत में ग्राहकों की संख्या के हिसाब से ।
  • 3 नंबर पर है दुनिया में ग्राहकों की संख्या के हिसाब से। 49 करोड़ दुनियाभर में ग्राहक हैं, सबसे ज्यादा 97 करोड़ चाइना मोबाइल कम्युनिकेशन के है।
  • 2 ऑपरेटर है अफ्रीका में। 128.43 कुल ग्राहक हैं अफ्रीका में एयरटेल के।
  • 18 देशो में है एयरटेल की सेवाएं।
  • 36.5 करोड़ ग्राहक हैं एयरटेल के मोबाइल सर्विस मामले में भारत में। जियो के 42.1 करोड़ और वोडाफोन के 24.5 करोड़ है।
  • 5.44 करोड़ कस्टमर बांग्लादेश में और 29 लाख कस्टमर श्रीलंका में हैं एयरटेल के।

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